न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। भारी घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी एयरलाइंस कपनी एयर इंडिया के निजीकरण के प्रस्ताव को देखते हुए सरकार ने कंपनी में व्यापक स्तर पर सभी नियुक्तियों और पदोन्नतियों को रोकने का निर्देश दिया है।
सरकार ने बहुत जरूरी होने और कारोबारी स्तर पर लाभकारी दिखने पर ही सिर्फ नई उड़ानें शुरू करने की इजाजत दी है। उल्लेखनीय है कि पिछले कार्यकाल में बोली लगाने वाले को ढ़ूंढने में नाकाम रही मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में ‘महराजा’ यानी एयर इंडिया को निजी हाथों में देने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है।
इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में विनिवेश के लिए नया मंत्री समूह (जीओएम) गठित किया गया है। एक अधिकारिक सूत्र ने बताया है कि ये निर्देश करीब एक हफ्ते पहले आया है। इसके मुताबिक निजीकरण के प्रस्ताव को देखते हुए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया जाना है तथा नियुक्तियों और पदोन्नतियों पर भी रोक लगा दी गई है।
दरअसल ये निर्देश निवेश और जन संपत्ति प्रबंधन विभाग ने दिया है। उधर, एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस बार विनिवेश को लेकर कोई संदेह नहीं है। एयर इंडिया पर करीब 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।
वहीं, राष्ट्रीय विमानन कंपनी की संचयी हानि 70,000 करोड़ है। इसके अलावा इस साल 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष (2018-19) में सरकारी विमानन कंपनी को 7,600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।