जुबिली न्यूज डेस्क
नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन प्रोग्राम को लेकर विपक्षी दलों का विरोध झेल रही मोदी सरकार अब अपनों के निशाने पर आ गई है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठनों ने इस प्रोग्राम के अलावा महंगाई और तालिबान के साथ नई दिल्ली की औपचारिक मुलाकात को लेकर भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने नाराजगी जाहिर की है।
बीएमएस के नेशनल एक्जीक्यूटिव ने पहले ही बढ़ती महंगाई के खिलाफ प्रस्ताव पास किया था और सरकार से तुरंत इसे रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की थी।
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भारत के सबसे बड़े मजदूर संगठनों में से एक बीएमएस के महासचिव विनय कुमार सिन्हा ने कहा, ‘कोरोना के बाद स्थिति बदतर हो गई है। नौकरियों में छंटनी और वेतन कटने से सबसे अधिक मजदूर प्रभावित हुए हैं और महंगाई पर भी कोई लगाम नहीं है।’
इतना ही नहीं मोदी सरकार के कदमों से असंतुष्ट और नाखुश बीएमएस ने 9 सितंबर को महंगाई के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।
बीएमएस ने मांग की है कि सरकार को सामान के लेबल पर उत्पादन लागत दिए जाने का भी प्रावधान करना चाहिए ताकि लोगों को यह पता लगे कि कंपनियां कितना मुनाफा कमा रही है।
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बीएमएस के महासचिव विनय कुमार सिन्हा कहते हैं, ‘उदाहरण के लिए फार्मा सेक्टर में कंपनियां कितना मुनाफा कमाएं, इस पर किसी का नियंत्रण नहीं है। ठीक इसी तरह, अगर सरकार एक देश, एक टैक्स की बात करती है तो फिर वह पेट्रोल को जीएसटी के अंदर क्यों नहीं लाती ताकि हर दिन इसके दाम बढऩे-घटने से निजात मिले, जिससे आम आदमी का जीवन प्रभावित हो रहा है।’
विनय सिन्हा ने कहा कि सरकार को आमदनी बढ़ाने के लिए कुछ और विकल्पों पर विचार करना चाहिए।