अविनाश भदौरिया
मोदी सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक भाषा’ को लेकर चल रहे विवाद पर बुधवार को संसद में सफाई दी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि इस तरह के किसी भी प्रावधान पर विचार नहीं किया जा रहा है। सरकार ने कहा कि संविधान में सभी भाषाएं समान हैं।
संसद में एक सवाल के जवाब में जी.किशन रेड्डी ने कहा कि देश की सभी भाषाओं को संविधान एक समान मानता है। गृह राज्य मंत्री ने कहा कि देश का संविधान सभी भाषाओं को एक समान मानता है और एक राष्ट्र, एक भाषा जैसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं चल रहा है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा, ‘भाषाओं का मसला संविधान की अनुसूची में है। इसका पालन केंद्र और राज्य सरकारें करती हैं।’ उन्होंने कहा कि केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से भी अलग-अलग भाषाओं को लेकर अनुदान जारी नहीं किया जाता।
अमित शाह ने एक देश में एक भाषा की कही थी बात
बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस के दिन हिंदी भाषा को बढ़ावा देने की अपील करते हुए कहा था कि देश को एकजुट करने का काम अगर कोई भाषा कर सकती है, तो वह हिंदी ही है। वैसे भारत कई भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना अलग महत्व है। हालांकि पूरे देश में एक भाषा का होना बेहद जरूरी है, जो दुनिया में उसकी पहचान बन सके।
अमित शाह ने कहा था कि महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल के सपनों को साकार करने के लिए प्रतिदिन के कामों में हिंदी का इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। इसके बाद से अमित शाह के इस बयान पर जमकर बवाल हुआ था।
विरोध के बाद मांगनी पड़ी थी सफाई
गैर हिंदी भाषा राज्य के क्षेत्रीय दल और उनके नेताओं ने अमित शाह के एक राष्ट्र एक भाषा का जमकर विरोध किया था। जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी भाषा को लेकर दिए अपने बयान पर सफाई दी।
उन्होंने कहा कि, ‘मैंने क्षेत्रीय भाषाओं पर हिंदी भाषा को थोपने की बात कभी नहीं कही। मैंने सिर्फ इतनी अपील की थी कि मातृभाषा के बाद दूसरी भाषा के रूप में हिंदी को सीखना चाहिए। मैं खुद गैर हिंदी भाषी राज्य गुजरात से आता हूं। अगर कुछ लोग इस पर राजनीति करना चाहते हैं, तो यह उनकी च्वॉइस है।’
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