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राजस्थान : बीजेपी के लिए सबसे बड़ा फैक्टर ‘मोदी’

पॉलिटिकल डेस्क

25 सीटों वाले राजस्थान में 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। पिछले चुनाव में मोदी फैक्टर ने काम किया था और इस चुनाव में भी यहां सबसे बड़ा फैक्टर मोदी ही है।

भाजपा के सभी प्रत्याशियों को मोदी फैक्टर का सहारा है। प्रत्याशी भी मोदी की उपलब्धियों को गिनाने में जुटे हैं तो मोदी खुद राजस्थान में ताबड़तोड़ रैली कर राष्ट्रवाद, एयरस्ट्राइक जैसे मुद्दों को गिना चुके हैं। चूंकि चुनाव देश का है तो उम्मीदवारों को आस है कि यहां मोदी फैक्टर काम करेगा।

राजस्थान की 12 लोकसभा सीट पर 6 मई को मतदान होना है। जिन सीटों पर मतदान होना है उनमें जयपुर, जयपुर ग्रामीण, नागौर, दौसा, भरतपुर, धौलपुर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, अलवर, झंझुनू, सीकर और चूरू शामिल है। अधिकांश सीटों पर रोचक मुकाबला है। यदि कांग्रेस 2018 विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराने में कामयाब होती है तो निश्चित ही बीजेपी मुश्किल में आ सकती है।

जयपुर ग्रामीण : खिलाड़ी दे रहे एक-दूसरे को चुनौती

जयपुर ग्रामीण सीट पर रोचक मुकाबला है। यहां मैदान में बीजेपी की तरफ से पूर्व ओलंपियन व मोदी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ है। राठौर को कांग्रेस ने दूसरी ओलंपिक में प्रतिनिधित्व कर चुकी कृष्णा पूनिया टक्कर दे रही हैं। राज्यवर्धन ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीत चुके हैं और कृष्णा पूनिया कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीत चुकीं हैं।

यहां का चुनावी समीकरण यह है कि अगर चुनाव मोदी फैक्टर से अलग हटकर जातीय गणित पर आया तो राठौड़ के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में जयपुर ग्रामीण की पांच सीटें कांग्रेस के हिस्से में गई थी।

नागौर में है रोचक मुकाबला

नागौर में सबसे रोचक मुकाबला है। यहां राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के हनुमान बेनीवाल कांग्रेस की ज्योति मिर्धा के मुकाबले में हैं। भाजपा ने यह सीट रालोपा के लिए छोड़ी है।
यदि विधानसभा का प्रदर्शन पर चुनाव का आंकलन करें तो कांग्रेस उम्मीदवार की स्थिति ठीक है। विधानसभा चुनाव में 8 विधानसभा सीटों में से छह पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।

दौसा : बीजेपी-कांग्रेस में सीधी लड़ाई

दौसा में कांग्रेस की ओर से सविता मीणा और भाजपा की ओर से जसकौर मीणा मैदान में है। इन दोनों में जोरदार भिड़ंत है। एक बात तय है कि इस बार महिला ही लोकसभा में प्रतिनिधित्व करेगी।

कांग्रेस के राजेश पायलेट लबें समय तक दौसा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किए हैं। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी रमा पायलेट लोकसभा पहुंची थी। 2014 में इस सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था लेकिन इस बार कौन जायेगा ये 23 मई को पता चलेगा।

विधानसभा चुनाव जीतकर कांग्रेस के हौसले बुलंद है तो मोदी फैक्टर के सहारे बीजेपी एक बार फिर मैदान फतह करने का सपना देख रही है।

भरतपुर : त्रिकोणीय लड़ाई

भरतपुर की आठ विधानसभा सीटों पर भाजपा 2018 के चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाई थी। इस संसदीय सीट पर भाजपा ने रंजीता कुमारी पर दांव लगाया है तो वहीं कांग्रेस ने अभिजीत जाटव को टिकट दिया है। कयास लगाया जा रहा है कि अभिजीत को बैरवा, जाटव, गुर्जर और मीणा वोटों का साथ मिल सकता है लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने सूरज जाटव को उतारकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

जयपुर शहर : बीजेपी मजबूत दावेदार

जयपुर शहर सीट पर बीजेपी ने एक बार फिर रामचरण बोहरा पर दांव लगाया है। बोहरा के मुकाबले कांग्रेस ने ज्योति खंडेलवाल कोद मैदान में उतारा है। यहां मुकाबला भाजपा के पक्ष में दिखता है। बीजेपी यहां मजबूत स्थिति में है। दरअसल यहां मोदी फैक्टर ही हावी है। हालांकि कांग्रेस ने खंडेलवाल प्रत्याशी को टिकट देकर भाजपा के परंगपरागत वोट बैंक में सेंध की तैयारी की है।

धौलपुर : कांग्रेस का पलड़ा भारी

करौली संसदीय सीट पर बीजेपी ने एक बार फिर सांसद मनोज राजोरिया पर ही दांव लगाया है। राजोरिया को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने संजय जाटव को मैदान में उतारा है। विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर संजय का पलड़ा भारी है।
धौलपुर संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने छह पर कब्जा जमाया था। बीजेपी के खाते में सिर्फ एक सीट आई थी।

बीकानेर : पूर्व ब्यूरोक्रेट्स दे रहे हैं एक दूसरे को चुनौती

बीकानेर में दो ब्यूरोक्रेट्स मैदान में हैं और एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। भाजपा ने दो बार के सांसद अर्जुन राम मेघवाल को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने मदन गोपाल मेघवाल को। अर्जुन रिटायर्ड आईएएस हैं और उनसे मुकाबला करने आईपीएस से वीआरएस लेकर मदन गोपाल आए हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां चार सीटों पर कब्जा जमाया था तो कांग्रेस ने तीन।

अलवर, श्रीगंगानगर, सीकर, झुंझुनू और चुरू में भी मोदी फैक्टर की आस

अलवर, श्रीगंगानगर, सीकर, झुंझुनू और चुरू में बीजेपी उम्मीद मोदी फैक्टर की आस में हैं। पीएम मोदी इन क्षेत्रों में चुनावी सभा भी कर चुके हैं।

अलवर में चुनावी मैदान में भाजपा की ओर से बाबा बालकनाथ ताल ठोक रहे हैं तो कांग्रेस के जितेंद्र सिंह उन्हें टक्कर दे रहे हैं। यहां कांग्रेस की स्थिति मजबूत दिख रही है। 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां की तीन, भाजपा- बसपा ने दो—दो सीटें जीतीं थी, जबकि एक सीट निर्दलीय के पास गई।

श्रीगंगानगर से भाजपा से सातवीं बार निहालचंद्र मैदान में हैं। कांग्रेस ने भरतलाल मेघवाल को मौका दिया है, वे निहालचंद्र को 2009 में हरा चुके हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने चार -चार सीटें जीती थीं। यहां मुकाबला रोचक है।

सीकर में भाजपा के सुमेधानंद का मुकाबला सुभाष महरिया से है। माकपा ने अंतरा राम को टिकट देकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। वहीं झुंझुनू में भाजपा ने नरेंद्र खीचड़ और कांग्रेस ने श्रवण कुमार पर दांव लगाया है।

चूरू सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। भाजपा ने यहां राहुल कस्वा को उतारा है जबकि कांग्रेस ने रफीक मंडेलिया को। रफीक अकेले मुस्लिम हैं, जिन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया है। भाजपा ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है। इन सीटों पर भी जहां बीजेपी को मोदी से आस है तो वहीं कांग्रेस विधानसभा चुनाव परिणाम दोहराने की आस में है।

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