राजेंद्र कुमार
देश के कई राज्यों में नागरिकता संशोधन बिल (कैब) को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, वही केंद्र की मोदी सरकार नए साल में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार की उधेड़बुन में लगी हुई है। बीजेपी के खेंमे में सीनियर नेता 14 जनवरी से लेकर 26 जनवरी के बीच मंत्रिमंडल विस्तार का अनुमान लगा रहे हैं। इनके अनुसार, मंत्रिमंडल के विस्तार में दिल्ली, बिहार, बंगाल और नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों से पार्टी के सदस्य सरकार में जगह पायंगे।
दिल्ली, बिहार और बंगाल में जल्दी ही चुनाव होने को हैं, और नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों हो रही हिंसा को लेकर वहां से मंत्रिमंडल लोगो शामिल किये जाने का दावा किया जा रहा है। दक्षिण भारत के राज्यों से भी कुछ नए मंत्री लेने की चर्चा है। खास कर कर्नाटक से, जहां भाजपा ने हाल ही में उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन करके सरकार के लिए बहुमत हासिल किया है। इसके अलावा जेडीयू और अपना दल (एडीएस) से भी एक सदस्य मोदी सरकार में मंत्री बनेगा।
गौरतलब है कि मोदी सरकार में फिलहाल प्रधानमंत्री सहित कुल 57 मंत्री हैं, जबकि मंत्रियों की संख्या 81 तक हो सकती है। इस लिहाज से अभी 24 मंत्री बनाए जा सकते हैं। सभी 24 पदों को प्रधानमंत्री मोदी अभी नहीं भरेंगे। वह ज्यादा से ज्यादा अपने मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या 70 रखेंगे। ऐसे में वह अभी अपने मंत्रिमंडल विस्तार में 13 नए सदस्यों के शामिल करेंगे।
इन 13 सदस्यों में शामिल होने के लिए बीजेपी के तमाम नेता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की परिक्रमा कर उन्हें प्रभावित करने का प्रयास करने में जुटे हैं। इनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में चार महीने में ही मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया था। इस बार तो सरकार बने छह महीने से ज्यादा हो गए और अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हुआ है। जबकि मंत्रिमंडल विस्तार की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि कई मंत्रियों के पास तीन-तीन मंत्रालयों का प्रभार हैं।
ऐसे मंत्रियों में प्रकाश जावडेकर से लेकर नितिन गडकरी के नाम शालिम हैं। हमेशा ही सुस्त से दिखने वाले प्रकाश जावडेकर के पास तीन मंत्रालय हैं। भारी उद्योग मंत्रालय, वन व पर्यावरण मंत्रालय और भारी उद्योग मंत्रालय का दायित्व मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में एक मंत्री के पास नहीं था। स्मृति ईरानी कपड़ा मंत्री हैं और साथ ही उनके पास महिला व बाल विकास मंत्रालय भी है। पिछली सरकार में महिला व बाल विकास की मंत्री मेनका गांधी थीं। धर्मेंद्र प्रधान के पास पेट्रोलियम के साथ साथ स्टील मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है। पिछली सरकार में बीरेंद्र सिंह स्टील मंत्री थे। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के पास संचार और इलेक्ट्रोनिक्स व इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी का मंत्रालय है। इनके तीनों ही मंत्रालयों में कुछ ना कुछ ऐसा हो रहा है, जिसे लेकर सरकार को जवाब देना कठिन हो रहा है। फिर चाहे वह मामला बीएसएनएल से जुडा हो या फिर न्यायालयों में खाली जजों के पर को लेकर हो।
ऐसे ही डॉक्टर हर्षवर्धन के पास स्वास्थ्य के साथ-साथ विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है। नरेंद्र सिंह तोमर कृषि व किसान कल्याण के साथ साथ ग्रामीण विकास व पंचायती राज जैसा एक और भारी भरकम मंत्रालय संभाल रहे हैं। नितिन गडकरी के पास भी सड़क मंत्रालय के साथ साथ लघु व मझोले उद्योग का मंत्रालय है। इसके चलते ही अब मोदी सरकार में नए मंत्री नियुक्त किए जाने की जरूरत बताई जा रही है।
बीजेपी खेमे के नेताओं के अनुसार, मंत्रिमंडल विस्तार में राज्यसभा में आए कुछ नए सदस्यों की लॉटरी खुल सकती है। अगले साल राज्यसभा के दो वार्षिक चुनाव हैं। सो, कुछ ऐसे सदस्य भी मंत्री बन सकते हैं, जो मंत्री पद की शपथ लेने के बाद सासंद बनेंगे।
ऐसे नेताओं में सैयद शाहनवाज हुसैन का नाम लिया जा रहा है। दिल्ली से बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी को मंत्रिमंडल में लिया जा सकता है। विजय गोयल भी मंत्री बनने के लिए दौड भाग कर रहें हैं। अभी दिल्ली से सिर्फ डॉक्टर हर्षवर्धन केंद्र में मंत्री हैं। पश्चिम बंगाल के ऊपर भाजपा का बहुत ज्यादा फोकस है। वहां से एक-दो नए मंत्री सरकार में शामिल किए जा सकते हैं। बंगाल में 2021 में चुनाव होना है।
चर्चा यह भी है कि राधामोहन सिंह, राजीव प्रताप रूड़ी, राज्यवर्धन राठौड़, विजय गोयल जैसे कई नेता जो इस बार मंत्री नहीं बन पाए हैं, वह भी सरकार में शामिल होने के लिए प्रयास में जुटे हैं। इनके अलावा राम माधव और महेश शर्मा भी सरकार में शामिल होने के लिए संघ की कृपा चाह रहे हैं। कुछ पुराने प्रादेशिक क्षत्रपों को भी प्रधानमंत्री दिल्ली लाना चाहते हैं। अब देखना यह है कि मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में किस-किस की लाटरी लगती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)