रामलला के दर्शन को सुलभ बनाने के लिए पौराणिक अयोध्या पर बुलडोजर चल रहा है। मंदिर तक पहुंचने के लिए रामपथ और भक्ति पथ का निर्माण हो रहा है। इन पथों की जद में आने वाले सैकड़ों वर्ष पुराने दर्जनों मंदिरों को जमीदोंज कर दिया जा रहा है।
अब आधुनिक एअरपोर्ट, रेलवे , सड़क मार्ग की चमाचम के साथ फाइव स्टार होटल, आलीशान आवासीय सुविधाओं की चकाचौंध में अयोध्या धार्मिक से पर्यटन नगरी बन रही है।
नव्य अयोध्या बसाने की मुहिम में जो प्रमुख मंदिर ढहाए गए हैं उनका धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक महत्व रहा है। इनमें नया घाट के 200 वर्ष पुराने फूलपुर मंदिर का द्वार, 120 वर्ष पुराना सांवरिया मंदिर, बाबू बाजार क्षेत्र स्थित 200 वर्ष पुराना नरहरि मंदिर का द्वार, शास्त्रीनगर क्षेत्र में बने 300 वर्ष पुराना शीश महल का द्वार, 150 वर्ष पुराना बल्लीपुर मंदिर का द्वार, 80 वर्ष पुराना कपूरिया मंदिर का द्वार, 250 वर्ष पुराना छोटी कुटिया का भवन, सब्जीमंडी चौराहा स्थित हनुमानगढ़ी का 200 वर्ष पुराना दुबे मंदिर,150 वर्ष पूर्व पुराना भूड मंदिर प्रमुख हैं। संवरती अयोध्या में बीती रात चार सौ वर्ष पुराना सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी का सिंहद्वार भी ढहा दिया गया।
राम नगरी अयोध्या में बढ़ते श्रद्धालुओं की संख्या को लेकर तीन प्रमुख पथ तैयार किए जा रहे हैं, जिसमें सुग्रीव किला से राम जन्मभूमि तक के लिए जन्मभूमि पथ, श्रृंगार घाट बैरियर से हनुमानगढ़ी, दशरथ महल के रास्ते राम जन्मभूमि तक के लिए भक्ति पथ और नया घाट से सआदतगंज तक राम पथ का निर्माण हो रहा है।
चौड़ीकरण के मार्ग में आने वाले भवन व मंदिरों को गिराया जा रहा है। जन्मभूमि पथ में सुग्रीव किला से राम जन्मभूमि तक जाने वाले मार्ग पर कई मंदिरों के भवन प्रभावित हो रहे हैं, जिसमें रामगुलेला मंदिर का कुछ हिस्सा, हनुमानगढ़ी की जमीन का कुछ हिस्सा जन्मभूमि पथ में शामिल किया गया है। इसके साथ ही अमावां मंदिर की जमीन जिसे ट्रस्ट के द्वारा निशुल्क उपलब्ध कराया गया है।
रामनगरी अयोध्या की जो वीथिकाएं राम नाम से गूंजा करती थी, वहां आजकल हथौड़ों के चोट आवाज सुनाई पड़ती है। जिन दीवारों को रोली और चंदन से संवारा गया था उन्हें मशीनों से रौंदा जा रहा है। राम की अयोध्या का यह मंजर देखकर हर अयोध्यावासी का दिल दहल जा रहा है फिर भी वह यह सोच कर सह ले रहा है कि विकास का जो सपना और शजरा योगी सरकार दिखा रही है, वह बहुत अच्छा है।
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विकास तो अच्छी बात है परन्तु पौराणिक पहचानों को मिटाकर नहीं। चौड़ीकरण के नाम पर अयोध्या का मूल आध्यात्मिक स्वरूप समाप्त होता जा रहा है। स्वर्ग से सुंदर कश्मीर हो या मर्यादित अयोध्या, सियासत इसे विद्रुप बना रही है। अब नव्य अयोध्या बसाई जा रही है। रामनगरी को पर्यटन नगरी बनाने के लिए अरबों रुपया खर्च हो रहा है। जाहिर सी बात है कि इतने ख़र्च के बाद आलीशान निर्माण होना स्वाभाविक है।
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