जुबिली न्यूज डेस्क
ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करते हुए केंद्र सरकार ने इस आम बजट में ग्राम विकास के लिए फंड बढ़ा दिया गया है। इस बार गांवों के विकास के लिए 1 लाख 35 हजार 944 करोड़ रुपये की रकम आवंटित की गई है, लेकिन कोरोना महामारी के बाद से गांव से लेकर शहर तक बढ़ी बेरोजगारी के बीच मनरेगा का बजट कम कर दिया गया है।
वित्त वर्ष 2022-23 में मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपये का ही बजट आवंटित किया गया है, जो मौजूदा वर्ष के मुकाबले 25 प्रतिशत कम है। इस वित्त वर्ष में मनरेगा के लिए 98 हजार करोड़ रुपये का बजट दिया गया था।
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ऐसे में बेरोजगारी को देखते हुए मनरेगा के बजट में कटौती चिंताजनक है। दरअसल तालाबंदी के दौर में 2020 में मनरेगा ने गांवों में बड़ा आर्थिक संकट खड़ा होने से बचा लिया था। यहां तक कि शहरों से पलायन कर गांवों में पहुंचे प्रवासी मजदूरों को भी मनरेगा के चलते मदद मिली थी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने तो खास मिशन चलाकर मनरेगा स्कीम के तहत बड़ी संख्या में बेरोजगारों को काम दिया था। यहां तक कि 31 जनवरी को पेश किए गए आर्थिक सर्वे में भी मनरेगा को ग्रामीण रोजगार के लिए अहम माना गया था।
मनरेगा के फंड में कटौती को विपक्षी दलों की ओर से मुद्दा बनाया जा सकता है। नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया वीमन्स की प्रेसिडेंट अरुणा रॉय ने मनरेगा के बजट में कमी पर चिंता जताई है।
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रॉय ने कहा, ‘देश सर्वकालिक उच्च बेरोजगारी दर से गुजर रहा है, लेकिन सरकार यह नहीं सोच रही है कि मनरेगा के लिए उचित फंड जारी किया जाए ताकि बेरोजगारों को कुछ काम देकर राहत प्रदान की जा सके। यहां तक कि फंड में कटौती भी कर दी गई है। यह जो नया फंड जारी किया गया है, उससे महीने में 25 दिन का रोजगार देना भी मुश्किल होगा।’