जुबिली न्यूज डेस्क
दिल्ली. दिल्ली के चर्चित गीतिका शर्मा सुसाइड केस में आरोपी हरियाणा के पूर्व गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा को कोर्ट ने बरी कर दिया. दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार, 25 जुलाई को फैसला सुनाया. कोर्ट ने इस मामले में एक अन्य आरोपी अरुणा चड्ढा को भी बरी कर दिया.
गीतिका शर्मा, गोपाल कांडा की एयरलाइन कंपनी में एयर होस्टेस थीं. 5 अगस्त 2012 को गीतिका ने दिल्ली के अशोक विहार के अपने घर में सुसाइड कर ली थी. उनकी लाश के पास एक चिट्ठी मिली थी. उसमें लिखा था कि गोपाल कांडा ने गीतिका का ‘ग़लत इस्तेमाल’ किया और इसी वजह से वो आत्महत्या कर रही हैं. 7 अगस्त को कांडा ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया. हालांकि उनके ख़िलाफ़ ‘आत्महत्या के लिए उकसाने’ का मामला दर्ज हुआ.
11 साल पुराने मामले में फैसला आने के बाद मीडिया कर्मियों ने गोपाल कांडा से बात करनी चाही तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. केवल हाथ जोड़े और निकल गए. हालांकि, कांडा के वकील ने इतना जरूर कहा कि हमें ऐसे ही फैसले की उम्मीद थी. बता दें कि गोपाल कांडा की एयरलाइंस में एयर होस्टेस के तौर पर काम कर चुकी गीतिका ने 5 अगस्त, 2012 में दिल्ली में अशोक विहार के अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
गीतिका ने एक सुसाइड नोट भी लिखा था और कांडा और उनकी MDLR कंपनी में सीनियर मैनेजर अरुणा चड्ढा पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था. इस दौरान गोपाल कांडा को गिरफ्तार करने के बाद 18 माह तक जेल में रहना पड़ा. मार्च 2014 में जमानत मिली थी. सहआरोपी अरुणा चड्ढा को हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद कांडा को भी बेल दी गई थी.
ये भी पढ़ें-फिर आनें वाला है चक्रवाती तूफान, इन 12 राज्यों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी
उधर, गीतिका की मौत के करीब छह महीने बाद उनकी मां अनुराधा शर्मा ने भी आत्महत्या कर ली थी. गीतिका शर्मा के आत्महत्या के मामले में दिल्ली पुलिस ने गोपाला कांडा के खिलाफ चार्जशीट में आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत आरोप चार्जशीट दायर किया था. इसके अलावा उन पर आईपीसी की सेक्शन 120 बी, 201, 466 ,468 और 469 के तहत भी पुलिस ने मामला दर्ज किया था. हालांकि, हाईकोर्ट ने कांडा के खिलाफ 376 और 377 की धारा को हटा दिया था.
कौन है गोपाल कांडा
गोपाल कांडा हरियाणा के सिरसा जिले के रहने वाले हैं. वह सिरसा से आजाद विधायक हैं. साल 2009 में उन्होंने पहली बार चुनाव जीता था. इस दौरान उन्होंने हुड्डा सरकार को समर्थन दिया और इसके बदले में उन्हें हरियाणा में गृहमंत्री बनाया गया. बाद में 2012 में यह मामला आया तो उन्हें मंत्रीमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था.