जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. राजस्थान के विद्यार्थी अपनी मेधा के दम पर अपने सूबे का नाम पूरे देश में रौशन करने में जुटे हैं. राजस्थान प्रशासनिक सेवा का परिणाम हर किसी को चौंका रहा है. सड़क पर झाडू लगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाली आशा कंडारा ने इस परीक्षा में सफल होकर राजस्थान का झंडा ऊंचा किया तो अब एक किसान की पाँचों बेटियों ने प्रशासनिक अधिकारी बनकर यह अहसास करवा दिया कि सफलता को चूमने के लिए बड़े संसाधनों की ज़रूरत नहीं होती है.
हनुमानगढ़ जिले के छोटे से गाँव भैंरूसरी में पैदा हुई एक मामूली किसान की पाँचों बेटियां अपनी मेहनत के दम पर्व प्रशासनिक अधिकारी बन गईं. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि इन बहनों के पास किसी भी तरह से संसाधन मुहैया नहीं थे. सिर्फ उनके पिता की यह ख्वाहिश थी कि पाँचों बेटियां प्रशासनिक अधिकारी बन जाएं.
किसान सहदेव सहारण की इन पाँचों बेटियों ने पांचवीं क्लास तक गाँव के स्कूल में ही पढ़ाई की. इसके आगे की पढ़ाई का गाँव में इंतजाम नहीं था और किसान के पास इतना पैसा नहीं था कि बेटियों को पढ़ाई के लिए शहर भेज पाता. इसके आगे की शिक्षा पाँचों बेटियों ने पत्राचार के माध्यम से की.
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सहदेव सहारण की बेटी रोमा सहारण ने 2010 में राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज़ (आरएएस) की परीक्षा पास की तो किसान को अपना सपना सच होता दिखाई दिया. रोमा इस समय झुंझनू में बीडीओ हैं. रोमा के बाद उनकी बड़ी बहन मंजू सहारण ने 2012 में यह परीक्षा पास कर ली. किसान की बाकी तीनों बेटियों रितु, अंशु और सुमन ने 2018 में आरएएस की परीक्षा दी. इस परीक्षा का नतीजा 2021 में आया तो तीनों ने एक साथ इतिहास रच दिया. अब किसान की पाँचों बेटियों ने मिलकर उनका सपना पूरा कर दिया है.