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मध्यप्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी का एक बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि शौचालय के अंदर खाना बनाने से कोई समस्या नहीं है। अगर टॉयलेट शीट और स्टोव के बीच विभाजन हो।
उन्होंने यह भी कहा कि आजकल घरों में भी अटैच लेटरिन-बाथरूम होते हैं। अगर आपके घर आने वाले रिश्तेदार खाना खाने से इनकार कर दें, क्योंकि आपके यहां अटैच लेटरिन-बाथरूम हैं। उस स्कूल में टॉयलेट शीट बजरी से भरा हुआ है। इस बारे में जांच भी शुरू कर दी गई है।
बता दें कि शिवपुरी जिले में स्वच्छता अभियान के अंतर्गत बनाए जाने वाले शौचालयों को उपयोग लोग अपने-अपने ढंग से कर रहे हैं। शिवपुरी जिले के करैरा के सिलानगर पोखर आंगनबाड़ी केंद्र पर बनाए गए शौचालय का निर्माण यहां पर रसोई के रूप में किया जा रहा है।
शौचालय को रसोई बनाने का मामला अजीब जरूर लगता है लेकिन करैरा के आंगनबाड़ी केंद्र में शौचलय बनाकर इसका रोज उपयोग बच्चों को मिड डे मील बनाने में हो रहा है। करैरा के सिलानगर पोखर का आंगनबाड़ी केंद्र में यहां छोटे-छोटे मासूम बच्चे बड़े मजे से मिड डे मील का स्वाद चख रहे हैं, लेकिन इन्हें नहीं मालूम कि जिस जगह ये भोजन बना है वो कभी शौचालय था।
जब यह मामला सामने आया था अब आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता राजकुमारी योगी ने कहा कि यह बात सही है कि यहां पर शौचालय के एक हिस्से में खाना बनता है लेकिन वह समूह से कई बार कह चुकी हैं कि वह खाना अन्य जगह पर बनाए।
आंगनबाड़ी केंद्र पर चल रही इस मनमानी को लेकर जब महिला एवं बाल विकास विभाग की सीडीपीओ प्रियंका बुनकर से बात की गई तो वह बचाव में आई और बोली कि वहां पर जो शौचालय बना है वह आधा-अधूरा है और वहां पर पानी की कमी के चलते उसका उपयोग शौचालय के रूप में नहीं हुआ है। कुल मिलाकर अब सब बचाव में आ गए हैं और मामले में लीपापोती की जा रही है।
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