न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। खनन घोटाले की कई दिनों से जांच कर रही सीबीआई की टीम ने कानपुर देहात के डीएफओ ललित गिरि को कैम्प ऑफिस में तलब करके साढ़े तीन घंटे तक लम्बी पूछताछ की। डीएफओ थोड़ी देर के लिये कैम्प ऑफिस से बाहर निकले और किसी से फोन पर बात की लेकिन उन्हें दोबारा पूछताछ के लिये बुलवाया गया।
खनन घोटाले की जांच का दायरा अब धीरे- धीरे मायावती सरकार में तैनात रहे आईएएस अफसरों तक बढ़ रहा है। सीबीआई के डर से तमाम मौरंग कारोबारी भूमिगत हो गए हैं।
हाईकोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में अवैध खनन घोटाले की जांच कर रही सीबीआई टीम छठवीं बार हमीरपुर आयी है। टीम ने मौदहा बांध निर्माण के निरीक्षण भवन को कैम्प ऑफिस बनाया है जहां हर रोज खनन से जुड़े कारोबारी और अधिकारियों को तलब करके पूछताछ की जा रही है।
अवैध खनन के साक्ष्य जुटाने में जुटी सीबीआई की तीन सदस्यीय टीम ने आज वर्ष 2010 में तैनात रहे हमीरपुर के डीएफओ ललित गिरि को तलब किया था। वह इस समय कानपुर देहात में तैनात हैं। डीएफओ कैम्प ऑफिस से बाहर आये और उन्होंने किसी को फोन करके बात की। थोड़ी देर बाद उन्हें दोबारा कैम्प ऑफिस में बुलवाकर सीबीआई टीम ने घंटों तक पूछताछ की।
मायावती की सरकार में यहां तैनात रहे जिलाधिकारी जी.श्रीनिवास के समय सरीला क्षेत्र के बेंदा दरिया में 16 एकड़ क्षेत्र में खनन के लिये पट्टे जारी हुये थे।
पर्यावरण सम्बन्धी एनओसी जारी करने के लिये फाइल वन विभाग को भेजी गयी थी, जिसमें 17 मई 2010 को सरीला क्षेत्र के बेंदा दरिया में केवल बारह एकड़ भूमि में मौरंग खनन के लिये तत्कालीन डीएफओ ललित गिरी ने एनओसी जारी की थी।
मौरंग का पट्टा सोलह एकड़ की जगह 12 एकड़ के पट्टे के लिये इसलिये एनओसी जारी की गयी थी कि वन सीमा से सौ मीटर के दायरे में पट्टा था। इस मौरंग के पट्टे में दी गई एनओसी को लेकर सीबीआई ने डीएफओ कानपुर देहात को तलब कर साढ़े तीन घंटे तक डिटेल में पूछताछ की है।
पूछताछ के बाद जैसे ही डीएफओ सीबीआई के कैम्प ऑफिस से बाहर निकले तो उनके माथे पर चिंता की लकीरें दिख रही थी। 2005 बैच के आईएएस जी.श्रीनिवास की 10 अगस्त 2009 को हमीरपुर में तैनाती हुयी थी जो 13 अप्रैल 2012 तक यहां तैनात रहे।
इधर याचिकाकर्ता एवं समाजसेवी विजय द्विवेदी ने बताया कि सीबीआई अब 2010 से अब तक मौरंग के पट्टों के लिये पर्यावरण सम्बन्धी जारी एनओसी को लेकर जांच में जुट गयी है क्योंकि इस साल जारी किये गए 25 मौरंग के पट्टों में फर्जी एआई की रिपोर्ट लगायी गयी थी, जिसके बाद एनजीटी ने मौरंग खदानों के पट्टे निरस्त करने के आदेश किये थे।
सीबीआई की जांच के दायरे में मौरंग के पट्टों के लिये जारी पर्यावरण सम्बन्धी एनओसी भी आ गयी हैं। इसलिए अब मायावती सरकार में तैनात रहे आईएएस अफसरों की भूमिका की भी जांच हो सकती है।
माफियाओं ने सिपाहियों पर की थी फायरिंग
वर्ष 2011 में सुमेरपुर क्षेत्र के पत्यौरा में मौरंग के अवैध खनन को लेकर पत्यौरा चौकी के दो सिपाहियों पर माफियाओं ने फायरिंग की थी जिसमें पन्नालाल नाम का सिपाही गोली लगने से घायल हो गया था। उसे कानपुर रेफर किया था। इस मामले में पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
कुरारा क्षेत्र के एक मौरंग खदान में भी अवैध खनन को लेकर छापेमारी में कई अधिकारी नपे थे। धसान और केन नदी में मौरंग माफियाओं ने अस्थायी पुल बनाकर अवैध खनन कर मौरंग का परिवहन किया था। शिकायत के बाद प्रशासन ने अस्थायी पुलों पर बुलडोजर चलवाया था।