Tuesday - 29 October 2024 - 1:59 AM

करोड़पति पूर्व सांसद नहीं छोड़ पा रहे हजारों की पेंशन का मोह

पॉलिटिकल डेस्क

राजनीति अब पेशा है। इस पेशे में सिर्फ करोड़पतियों को ही जगह मिल रही है। संसद में पहुंचने वाले 80 प्रतिशत से ज्यादा सांसद सांसद करोड़पति है। और तो और यह सांसद पद पर रहते हुए और बाद में भी सभी सरकारी सुविधाओं का पूरा लाभ उठा रहे है। इतना ही नहीं करोड़ों के मालिक ये पूर्व सांसद हजारों की पेंशन का भी मोह नहीं त्याग पा रहे हैं।

चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने रविवार को उत्तर प्रदेश के पहले चरण के आठ सीटों के प्रत्याशियों की संपत्तियों का ब्योरा जारी किया था जिसमें 96 में से 39 उम्मीदवारों की संपत्ति एक करोड़ से ज्यादा है।

इसी प्रकार पिछले दिनों आयी एडीआर की एक रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा के मौजूदा 521 सांसदों में कम से कम 83 प्रतिशत करोड़पति हैं। इन आंकड़ों से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजनीति में किसको जगह मिल रही है। ये करोड़पति सांसद कितना समाजसेवा करते होंगे अंदाजा लगाया जा सकता है।

ये करोड़पति सांसद पद पर रहते हुए तो सरकारी लाभ उठाते ही है उसके बाद भी मिलने वाले सरकारी लाभ लेने से नहीं चूकते। ‘द वायर’ द्वारा दायर किए गए सूचना का अधिकार आवेदन में इसका खुलासा हुआ है कि एक अप्रैल 2010 से लेकर 31 मार्च 2018 तक पूर्व सांसदों के पेंशन पर 489.19 करोड़ रुपये खर्च किया जा चुका है। खास बात यह है कि पेंशन पाने वालों में बड़े बिजनेस मैन, पूर्व चुनाव आयुक्त, पूर्व मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील, अखबार के मालिक, पूर्व केंद्रीय मंत्री, फिल्मकार, नामी पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद और भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपियों तक के नाम शामिल हैं।

पेंशन पाने वालों में बड़े उद्योगपति और नामचीन हस्तियां शामिल

पेंशन का लाभ लेने के लिए पूर्व सांसदों को पहले आवेदन करना होता है। इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय से इनके लिए पेंशन राशि जारी की जाती है। पेंशन पाने वालों में कई सारे उद्योगपति शामिल हैं।

इसमें बजाज ग्रुप के चेयरमैन राहुल बजाज, मेफेयर ग्रुप ऑफ होटल के चेयरमैन दिलीप कुमार रे, होटल स्टार वायसरॉय के मालिक पी. प्रभाकर रेड्डी, जेपी ग्रुप के चेयरमैन जय प्रकाश, रिलायंस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल योगेंद्र पी. त्रिवेदी, हिंदुस्तान यूनिलीवर के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली सहित कई लोग लोग शामिल हैं।


इसके अलावा पायनियर अखबार के मैनेजिंग एडिटर चंदन मित्रा, दैनिक जागरण अखबार के मालिक महेंद्र मोहन, आरएसएस की पत्रिका पांचजन्य के पूर्व संपादक और वल्र्ड बैंक, आईएमएफ के बोर्ड मेंबर रहे तरुण विजय, पत्रकार भरत कुमार राउत, इंडियन एक्सप्रेस अखबार के पूर्व संपादक एचके दुआ, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एमएस गिल, पूर्व इसरो अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन इत्यादि के अलावा ‘सदन में सवाल पूछने के बदले में पैसे लेने’ के मामले में आरोपी छत्रपाल सिंह लोढ़ा, कलर टीवी स्कैम में आरोपी और भ्रष्टाचार के कारण निलंबित सांसद टीएम सेल्वागणपति को भी पेंशन मिलती है।

इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के कई बड़े वकील, फिल्मकार, शिक्षाविद् तमाम क्षेत्रों से चुने गए सांसदों को पेंशन दी जाती है।

2,064 पूर्व सांसदों को दी जा रही है पेंशन

वर्तमान में 2,064 पूर्व सांसदों को पेंशन दी जा रही है। इसमें से 1,515 पूर्व लोकसभा सांसद हैं और 549 पूर्व राज्यसभा सांसद। मालूम हो ‘संसद के सदस्यों का वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम, 1954’ के तहत पूर्व सांसदों को पेशन देने का प्रावधान है और एक अप्रैल 2018 से पूर्व सांसदों को हर महीने 25,000 रुपये की पेंशन राशि दी जाती है।

इससे पहले ये राशि 20,000 रुपये प्रति माह थी। इन आकंड़ों से स्पष्ट है कि सभी राजनीतिक पार्टियों के पूर्व सांसद पेंशन का लाभ उठा रहे हैं। साल 2017 में 1,670 पूर्व लोकसभा सांसद और 615 पूर्व राज्यसभा सांसदों को पेंशन दी गई थी।

इसी प्रकार 2016 में 1,795 पूर्व लोकसभा सांसइ और 619 पूर्व राज्यसभा सांसदों को, साल 2015 में 1852 पूर्व लोकसभा सांसद और 621 पूर्व राज्यसभा सांसद तथा साल 2014 में 1751 पूर्व लोकसभा सांसद और 604 पूर्व राज्यसभा सांसदों को पेंशन दी गई थी। साल 2013 में 466 पूर्व लोकसभा सांसद और 190 पूर्व राज्यसभा सांसदों को पेंशन दी गई थी।

हर एक पूर्व सांसद को औसतन 2.68 लाख रुपये की पेंशन

आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर अगर हर साल प्रति सांसदों को दी गई पेंशन राशि की तो तुलना करें तो पता चलता है कि साल 2017-18 के दौरान हर एक पूर्व सांसद को औसतन 2.68 लाख रुपये की पेंशन दी गई। इसी तरह 2016-17 के दौरान 2.21 लाख रुपये, 2015-16 के दौरान 2.63 लाख रुपये, 2014-15 के दौरान 2.64 और 2013-14 के दौरान 9.09 लाख रुपये की औसत राशि हर एक सांसद को पेंशन के रूप में दी गई है।

सांसदों की पेंशन व्यवस्था खत्म करने की उठ चुकी है मांग

मालूम हो कि पूर्व सांसदों की पेंशन व्यवस्था खत्म करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट में ‘लोक प्रहरी’ नामक एनजीओ ने इलाहाबाह हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध अपील दायर कर पूर्व सांसदों को मिलने वाली पेंशन और अन्य सुविधाओं को रद्द करने की मांग की थी।

लोक प्रहरी से पहले कॉमन कॉज एनजीओ ने भी याचिका दायर कर पूर्व सांसदों के लिए पेंशन खत्म करने की मांग की थी। लोकप्रहरी ने कोर्ट में कहा था कि सांसद के पद से हटने के बाद भी जनता के पैसे से पेंशन लेना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) और अनुच्छेद 106 का उल्लंघन है।

संसद को ये अधिकार नहीं है कि वो बिना कानून बनाए सांसदों को पेशन सुविधाएं दे। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया था कि ’82 प्रतिशत सांसद करोड़पति हैं और गरीब करदाताओं के ऊपर सांसदों और उनके परिवार को पेंशन राशि देने का बोझ नहीं डाला जा सकता है।’

इस पर तत्कालीन जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर और जस्टिस संजन किशन कौल की पीठ ने इस मामले को कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर का बताते हुए ये याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था, ‘हमारा मानना है कि विधायी नीतियां बनाने या बदलने का सवाल संसद के विवेक के ऊपर निर्भर है।’

‘संसद के सदस्यों का वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम, 1954’  की धारा 8ए के तहत अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी समय के लिए (चाहे एक दिन के लिए भी) सांसद बनता है तो उसके लिए पेंशन राशि पक्की हो जाती है।

लोक प्रहरी ने अपनी याचिका में कहा था, ‘गवर्नर को पेंशन की कोई सुविधा नहीं मिलती है, लेकिन अगर कोई एक दिन के लिए भी सांसद बनता है तो उसकी पत्नी को जीवन भर के लिए पेंशन मिलता है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कार्यरत जजों को उनकी पत्नी के लिए फ्री एयर/ट्रेन यात्रा की सुविधा नहीं मिलती है लेकिन पूर्व सांसद सहयोगी के साथ साल के 365 दिन के लिए सेकंड एसी में मुफ्त में यात्रा कर सकते हैं।’

पहले चार साल का कार्यकाल पूरा करने वाले को मिलता था पेंशन

सन 2004 से पहले ये नियम था कि सांसद चार का कार्यकाल पूरा कर लेता था तभी पेंशन के योग्य माना जाता था, लेकिन 2004 में इसमें सरकार ने संसोधन कर इस प्रावधान को हटा दिया।

मौजूदा नियम के मुताबिक अगर कोई दो बार सांसद चुना जाता है तो उसकी पेंशन राशि 25,000 के अलावा 2,000 रुपये प्रति माह और बढ़ाकर दी जाती। इसकी तरह अगर कोई तीन बार सांसद चुना जाता है तो उसकी पेंशन राशि में और 2,000 रुपये का इजाफा कर दिया जाता है और यही क्रम आगे चलता जाता है।

दोनों सदनों के प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद को मिलता है दो पेंशन

यदि कोई पूर्व लोकसभा और राज्यसभा सांसद है तो उसे दो पेंशन मिलता है। लोकसभा का अलग और राज्यसभा का अलग। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को साल 2018 में 86,000 रुपये प्रति महीने पेंशन मिलती थी।

इसी तरह पूर्व राज्यसभा सांसद जॉर्ज फर्नांडीस को 57,500 रुपये हर महीने पेंशन मिलती थी। वहीं जेल में बंद बिहार के सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को भी 30,500 रुपये हर महीने पेंशन मिलती है। उद्योगपति और पूर्व कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल को 27,500 रुपये और पूर्व राष्ट्रपति और सांसद प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को 26,500 रुपये प्रति माह पेंशन मिलती है।

29 बार हो चुका है सांसदों के पेशन अधिनियम में संसोधन

मालूम हो कि ‘संसद के सदस्यों का वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम, 1954’ में अब तक कुल 29 बार संशोधन किया गया है और इन संशोधनों के आधार पर सांसदों, पूर्व सांसदों एवं उनके परिजनों के लिए कई सारी सुविधाएं देने का प्रावधान जोड़ा गया है।

केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (सीपीएओ) से मिली जानकारी के मुताबिक 1976 में सांसदों को 300 रुपये का पेंशन मिलती थी। इसके बाद कई सारे संशोधनों के तहत 1985 में ये राशि 500 रुपये, 1993 में 1400 रुपये, 1998 में 2500 रुपये, 2001 में 3000 रुपये, 2006 में 8000 रुपये, 2010 में 20,000 रुपये और 2018 में 25,000 रुपये की गई है।

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