Saturday - 26 October 2024 - 8:45 PM

यूपी में दूध कारोबार ने बदल दी रोज़गार की फिजा

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से सूबे में दूध के कारोबार की फिजा तेजी से बदल रही है. दूध उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश अब देश में पहले स्थान पर है. हर वर्ष राज्य में नौ लाख मीट्रिक टन की औसत से दूध उत्पादन बढ़ रहा है. जिससे दूध का कारोबार करने वाली बड़ी -बड़ी कंपनियां यूपी में अपनी डेयरी स्थापित करने में रूचि दिखा रहीं हैं.

बीते चार वर्षों में 172 करोड़ का निवेश कर अमूल सहित छह निवेशकों ने अपने डेयरी प्लांट स्थापित किए हैं. सात डेयरी प्लांट लगाए जाने की कार्रवाई की जा रही है. इसके अलावा 15 निवेशकों ने अपनी यूनिट लगाने के लिए प्रस्ताव दिया है. दूध उत्पादन के क्षेत्र में बड़े निवेशकों द्वारा लगाए जा रहे उद्यमों के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजागर मिला है. अब गांव -गांव में गाय तथा भैंस पालकर दूध का कारोबार करने वाले ग्रामीणों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अब यह दावा किया जा सकता है कि यूपी में दूध का कारोबार ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करा रहा है.

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि देश में उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है. यूपी का भारत में कुल दूध उत्पादन में 17% से ज्यादा हिस्सा है. प्रदेश सरकार के प्रयासों से दुग्ध उत्पादन में यूपी पूरे देश में अव्वल है. वर्ष 2016-17 में यूपी में 277.697 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पादन हुआ था, जो 2019-20 में बढ़कर 318.630 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया.

विगत चार वर्षों में 1242.37 लाख मीट्रिक टन दूध उत्पादन राज्य में हुआ है. दूध उत्पादन में हो रहा यह इजाफा सरकार की नीतियों का नतीजा बताया जा रहा है. अधिकारियों के अनुसार राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने दुधारू पशुओं के संरक्षण के साथ ग्रीनफील्ड डेयरियों की स्थापना करने की शुरुआत की.

गोवंश संरक्षण की सरकारी योजनाओं के कारण राज्य के सभी जिलों में गोवंश संरक्षक केंद्रों की स्थापना के लिए 272 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए. बेसहारा और निराश्रित गोवंशीय पशुओं के भरण पोषण का प्रबंध किया गया. इसके साथ ही कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, बरेली, कन्नौज, गोरखपुर, फिरोजाबाद, अयोध्या और मुरादाबाद में ग्रीन फील्ड डेयरियां स्थापित की जा रही हैं. झांसी, नोएडा, अलीगढ़ और प्रयागराज की चार पुरानी डेयरियों के उच्चीकरण का कार्य भी कराया जा रहा है.

सरकार के ऐसे प्रयासों के बीच ही देश के बड़े निवेशकों ने राज्य में अपनी डेयरी यूनिट लगाने की पहल की. देखते ही देखते गाजीपुर में पूर्वांचल अग्रिको, बिजनौर में श्रेष्ठा फ़ूड, मेरठ में देसी डेयरी, गोंडा में न्यू अमित फ़ूड, बुलंदशहर में क्रीमी फ़ूड और लखनऊ में सीपी मिल्क फ़ूड की डेयरी यूनिट लग गई है और अन्य लोगों की डेयरी यूनिट लग रही हैं.

वहीं दूसरी तरफ राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार गोवंश संरक्षण केंद्र एवं गोवंश वन्य बिहार का निर्माण करा रही है. इनमें से 118 केंद्र का निर्माण कार्य पूरा भी हो चुका है. इसके अलावा मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के अंतर्गत 66 हजार से अधिक गोवंश, इच्छुक पशु पालकों की सुपुर्दगी में दिए गए हैं.

गोवंश पालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने गोकुल पुरस्कार और देशी गोवंश की गाय से सर्वाधिक दूध उत्पादक को नंदबाबा पुरस्कार देना शुरू किया है. गांवों में ग्रामीण दूध कारोबार से जुड़े इसके लिए सरकार प्रदेश में पंजीकृत 12 लाख से अधिक दूध किसानों का क्रेडिट कार्ड दे रही है. सरकार की इस योजना को ग्रामीण हाथों-हाथ ले रहे हैं और राज्य में गौवंशीय पशुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है. सरकार द्वारा कराई गई 20वीं पशुगणना के अनुसार यूपी में 202.04 लाख गौवंशीय पशु हैं. इन पशुओं के कारण ही यूपी दूध उत्पादन के मामले में लगातार आगे बढ़ता जा रहा है. तो सरकार भी दूध के कारोबार को बेहतर करने के लिए दुग्ध समितियों के ढ़ांचे को मजबूत करने में जुटी है.

यह भी पढ़ें : फिलहाल नहीं बनने जा रही अफगानिस्तान में नई सरकार

यह भी पढ़ें : सुप्रीम आदेश : किसानों के धरने का मुद्दा दो हफ्ते में हल करे सरकार

यह भी पढ़ें : चूड़ी वाले की पिटाई से बिगड़ा इंदौर का माहौल

यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : कल्याण सिंह ने बताया था कहाँ झुकता है उनका सर

यूपी के 75 जिलों में करीब 21,537 दूध समितियां हैं, इसमें लगभग 1279,560 पंजीकृत दूध उत्पादक जुड़े हुए हैं. यह सभी लोग किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ लेने में रुचि ले रहे हैं. किसानों को दूध कारोबार के प्रति प्रोत्साहित करने के साथ ही प्रदेश सरकार पशुओं की नस्ल सुधार के लिए पशुओं का टीकाकरण करा रही है. सरकार के इन प्रयासों से राज्य के हर गांव में दूध गाय –भैंस पालकर दूध बेचने वाले ग्रामीणों की संख्या बढ़ रही है और दुधारू पशुओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. जिससे हर वर्ष नौ लाख मीट्रिक टन के औसत से सूबे में दूध उत्पादन बढ़ रहा है और ग्रामीण इलाकों में अब दूध के कारोबार से लोगों को रोजगार मिल रहा है.

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com