जुबिली न्यूज़ डेस्क
भारत के पडोसी मुल्क म्यामांर में एक बार फिर से सेना का शासन हो गया है। जी हां यहां सैन्य तख्तापलट हो गया है। इसके बाद म्यामांर की सेना ने स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट को हिरासत में ले लिया है।
हालांकि इस बारे में अभी विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है। इस इमरजेंसी का ऐलान एक साल तक के लिए किया गया है। और देश की सत्ता एक साल के लिए सेना के कमांडर-इन-चीफ मिन आंग ह्लाइंग के पास चली गई है।
म्यांमार में हुई सैन्य तख्तापलट को लेकर अमेरिका ने कड़ी नाराजगी जताई है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका ने कहा कि ‘लोकतांत्रिक व्यवस्था को चोट पहुँचाने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की दी धमकी’।
बताया जा रहा है कि नेपीडॉ में सभी संचार लाइनों को काट दिया गया है। नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी पार्टी के लोगों से किसी भी तरह की कोई बात नहीं हो पाई है। दरअसल इस तख्तापलट के पीछे म्यांमार सेना का ये कहना है कि चुनाव में हुई धोखाधड़ी के जवाब में यह कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही देश में कई हिस्सों में सेना की टुकड़ियां तैनात कर दी गई है ताकि कोई इस तख्तापलट का विरोध न कर सके।
भारत के करीबी म्यामांर में एक दशक पहले तक सैन्य शासन ही रहा था ये सैन्य शासन करीब 50 साल तक चला। साल 1962 से लेकर साल 2011 तक देश में ‘मिलिट्री जनता’ की तानाशाही रही है।
साल 2010 में म्यांमार में आम चुनाव हुए और 2011 में म्यांमार में ‘नागरिक सरकार’ बनी। इसमें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को राज करने का मौका मिला। लेकिन पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में सत्ताधारी एनएलडी पर धांधली के आरोप लगने लगे थे।
2011 में नागरिक सरकार बनने के बाद भी यहां असली ताकत हमेशा ‘आर्मी’ के पास ही रही। अप्रत्यक्ष रूप से ‘मिलिट्री जनता’ म्यांमार की पहली शक्ति ही बनी रही, उसे उन अर्थों में हटाया नहीं जा सका, जैसा कि बाहर से लग रहा था।
इसलिए 1 फ़रवरी यानी सोमवार को जो घटना हुई है वह कुछ और नहीं बल्कि म्यांमार के राजनीतिक परिदृश्य का असली रूप है। आंग सान सू की की सत्ताधारी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी सेना की इस सफाई पर खुशी जताई थी। लेकिन अब म्यांमार में तख्तालट की खबरें आ रही हैं।
अमेरिका सहित कई देशों ने जताई चिंता
म्यांमार में हुए इस तख्तापलट की चिंता अमेरिकी, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों ने जताई है। साथ ही म्यांमार की सेना से कानून का सम्मान करने की अपील की है। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा है कि, ‘बर्मा की सेना ने स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और अन्य नागरिक अधिकारियों की गिरफ्तारी सहित देश के लोकतांत्रिक संक्रमण को कम करने के लिए कदम उठाए हैं।’
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अमेरिका की और से कहा गया कि, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल के चुनावों के परिणामों को बदलने या म्यांमार के लोकतांत्रिक व्यवस्था को बाधित करने के किसी भी प्रयास का विरोध किया है। और अगर ये तख्तापलट खत्म नहीं हुआ तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।’
नवम्बर में हुए थे चुनाव
बता दें कि नवंबर में हुए चुनावों में संसद के संयुक्त निचले और ऊपरी सदनों में सू की की पार्टी ने 476 सीटों में से 396 सीटों पर कब्जा किया। लेकिन सेना के पास 2008 के सैन्य-मसौदा संविधान के तहत कुल सीटों का 25% है। और कई प्रमुख मंत्री पद भी सेना के लिए आरक्षित हैं।
इसके बाद सेना ने आरोप लगाया कि चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी। हालांकि इस बारे में सेना कोई भी सबूत अभी तक पेश नहीं कर पाई है।