स्पेशल डेस्क
गर्मी अब चरम पर है और कोरोना कम होने के नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में लोगों को दोनों से जूझना पड़ रहा है। कोरोना वायरस को पकडऩे के लिए लोगों की टेस्टिंग करायी जा रही है और इस वजह से स्क्रीनिंग सेंंटरों में लम्बी लाइन देखने को मिल रही है।
इस सब के बीच प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है। दिल्ली में तापमान और ज्यादा बढक़र 50 डिग्री सेल्सियस के करीब जा पहुंचा है और श्रमिकों के दर्द को सरकार समझने का नाम नहीं ले रही है।
इनका रोजगार खत्म हो गया है और जेबों में पैसा नहीं है। आलम तो यह है कि स्पेशल श्रमिक ट्रेनों में टिकट के लिए पैसा तक नहीं बचा है। सरकारी मदद के नाम पर इन मजदूरों के दर्द को कोई नहीं समझ रहा है। घर लौटने के लिए श्रमिक ट्रेनों ने इनको और परेशान कर डाला है। रेलवे ने इसके लिए कड़े नियम बना रखे हैं।
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पहले श्रमिक ट्रेनों के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके मजदूरों को ट्रेनों की तारीख और समय को लेकर एक मैसेज भेजा जाता है। जिस दिन ट्रेन निकलने वाली होती है, उस दिन सुबह में उन्हें स्क्रीनिंग सेंटर पहुंचना होता है और अगर वो थर्मल स्क्रीनिंग में पास हो जाते हैं तो उन्हें सफर के पहले एक सर्टिफिकेट दिया जाता है।
इस सबके बीच स्क्रीनिंग के लिए लम्बी-लम्बी लाइन लगी रहती है और इस वजह से तपती गर्मी के बीच कोरोनावायरस की टेस्टिंग के लिए बने स्क्रीनिंग सेंटरों पर सैकड़ों मजदूर लंबी कतारों में लगे हैं। इस गर्मी में उनका बुरा हाल कर दिया है। इस लाइन में पुरुष, गर्भवती महिलाएं और बच्चे घंटों तक लाइनों में लगने पर मजबूर है और इस वजह से भूख से इनका बुरा हाल है।
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एक चैनल पर मजदूरों ने कहा कि ऐसे तो हम मर जाएंगे…..भूख से. मैं यहां पर कल सुबह (मंगलवार) 11 बजे से हूं. हमें पानी तक नहीं दिया गया है और पुलिस हमें धमकी दे रही है।
सरकार प्रवासी मजदूरों के दर्द को कम करने की बात कर रही है लेकिन प्रवासी मजदूरों का दर्द और बढ़ता जा रहा है। एक मजदूर ने एक न्यूज चैनल पर कहा कि उसने कहा कि मैं यहां रात भर इंतजार करता रहा।
घरपर मेरी मां चल बसी हैं। मैं नीतीश कुमार और बिहार सरकार से पूछना चाहता हूं कि आपने बिहारियों के लिए क्या किया है? ऐसे कई मजदूर है जो सरकार की अव्यवस्था और सरकारी लापरवाही से काफी परेशान है। अपने घर जाने के लिए तरस रहे हैं और सरकारी मदद इन तक नहीं पहुंच रहे हैं।
श्रमिक ट्रेनों में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। इतना ही नहीं ट्रेनें देरी से चल रही है और रास्ते में इन मजदूरों को खाना तक नहीं दिया जा रहा है। खबर तो यहां तक आ रही है इन ट्रेनों से आ रहे प्रवासी मजदूरों को पानी और खाने के लिए लूटमार करनी पड़ रही है।