- दिल्ली में फंसे 1200 प्रवासी मजदूर स्पेशल ट्रेन से बिहार रवाना
- प्रवासी मजदूरों के रेल किराए को लेकर AAP और जेडीयू में ठनी
न्यूज डेस्क
प्रवासी मजदूरों के रेल किराए पर राजनीति शुरु हो गई है। पहले बीजेपी और कांग्रेस के बीच वाक युद्ध चला और अब आम आदमी पार्टी और जेडीयू में ठन गई है।
शुक्रवार को दिल्ली में फंसे 1200 प्रवासी मजदूरों को लेकर स्पेशल ट्रेन मुजफ्फरपुर के लिए रवाना हुई। इन श्रमिकों के रेल के टिकट को लेकर आम आदमी पार्टी और जेडीयू के बीच में जबरदस्त जुबानी जंग शुरू हो गई है। केजरीवाल सरकार ने दावा किया है कि बिहार सरकार ने प्रवासी मजदूर के रेल का किराया देने से इनकार कर दिया है।
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आप ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए मुजफ्फरपुर रवाना हुई ट्रेन का वीडियो पोस्ट करने के साथ लिखा कि बिहार सरकार ने 1200 प्रवासी मजदूरों के रेल का किराया देने से इनकार कर दिया है और अब पूरा खर्च अरविंद केजरीवाल सरकार वहन करेगी। इस वीडियो में दावा किया गया है कि अरविंद केजरीवाल सरकार कोविड-19 महामारी काल में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के साथ खड़ी है।
जैसे ही यह वीडियो आम आदमी पार्टी ने जारी किया बिहार में जेडीयू केजरीवाल सरकार के दावों को लेकर आगबबूला हो गई।
केजरीवाल सरकार के दावों की हवा निकालते हुए जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने उस पत्र को ट्वीट किया जो 6 मई को दिल्ली सरकार के नोडल अधिकारी पीके गुप्ता ने बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को लिखी थी।
नोडल अधिकारी पीके गुप्ता ने इस पत्र में लिखा है कि 1200 प्रवासी मजदूरों के दिल्ली से मुजफ्फरपुर यात्रा के लिए खर्चा जो तकरीबन 6.5 लाख होगा वह तत्काल दिल्ली सरकार वहन करेगी और बाद में इस रकम का भुगतान बिहार सरकार दिल्ली सरकार को करेगी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रवासी मजदूरों के बिहार लौटने को लेकर निर्णय लिया है कि जो भी प्रवासी मजदूर बिहार लौटेंगे, उन्हें 21 दिन के लिए क्वारनटीन में जाना होगा। 21 दिनों के बाद बिहार सरकार इन प्रवासी मजदूरों को बिहार आने का जो भी रेल का किराया लगा होगा और उसके ऊपर से 500 रुपये अलग अदा करेगी।
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अब आम आदमी पार्टी के इस दावे पर सवाल उठ रहा है, क्योंकि दिल्ली सरकार के द्वारा लिखे पत्र से यह साफ हो गया है कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने बिहार सरकार से 6.5 लाख अदायगी करने के लिए कहा था। विपक्षी दलों ने भी आप पर निशाना साधते हुए कहा है कि प्रवासी मजदूरों पर राजनीति ठीक नहीं है। वह भी झूठा प्रचार-प्रसार कर के।
कोरोना महामारी की वजह से हुई तालाबंदी की मार से सबसे ज्यादा कोई प्रभावित हुआ तो वह हैं प्रवासी मजदूर। देश के कई राज्यों में फंसे लाखों प्रवासी मजदूरों का पलायन आज भी जारी है। पहले मजदूर पैदल या ट्रक आदि के सहारे अपने गांव की ओर लौट रहे थे लेकिन जब सरकार से जवाब-सवाल शुरु हुआ तो सरकार ने स्पेशल ट्रेन के जरिए प्रवासी मजदूरों को उनके राज्य भेजने का निर्णय लिया।
सवाल तब शुरु हुआ जब इन श्रमिकों से रेल किराया लिया गया। कई श्रमिक टिकट के पैसे न होने की वजह से अपने राज्य नहीं लौट पाये। कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया और ऐलान किया कि वह पूरे देश में फंसे श्रमिकों का रेल का किराया वहन करेगी। फिर क्या, बैकफुट पर आती बीजेपी ने कहा कि किराया केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिलकर वहन कर रही है। टिकट का किराया नहीं लिया गया है। जबकि कई श्रमिकों ने अपना रेल टिकट दिखाया और कहा कि पैसे उन्होंने खुद दिया है।
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