जुबिली न्यूज डेस्क
जस्टिस नोर्मा लूसिया पिना को सोमवार को मेक्सिको के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस के रूप में शपथ दिलाई गई. जस्टिस पिना ने चार साल के कार्यकाल के लिए शपथ ली है. उन्होंने 11 सदस्यीय अदालत के प्रमुख रहते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय की स्वतंत्रता बनाए रखने का वचन दिया.
न्यायिक स्वतंत्रता पर बोलते हुए जस्टिस पिना ने कहा, सरकार की शाखाओं के बीच संघर्षों को हल करने के लिए न्यायिक स्वतंत्रता जरूरी है. उन्होंने कहा, “मेरा मुख्य प्रस्ताव अपनी व्यक्तिगत दृष्टि को छोड़कर बहुमत हासिल करने के लिए काम करना है. देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनने पर उन्होंने कहा, मैं अनदेखी बाधाओं को तोड़ने के इस पूरी अदालत के बहुमत के महत्वपूर्ण निर्णय को स्वीकार करती हूं. उनकी नियुक्ति छह-पांच के बहुमत के वोट से हुई है और यह राष्ट्रपति आंद्रेज मैनुअल लोपेज ओब्रादोर के लिए एक झटके की तरह है, क्योंकि उन्होंने किसी और महिला का समर्थन इस पद के लिए किया था.
प्रतिद्वंद्वी पर लगे आरोप
विपक्षी दलों ने पिना के चुनाव का स्वागत किया, लेकिन देश के राष्ट्रपति चाहते थे कि उनकी प्रतिद्वंद्वी यास्मीन एस्क्विवेल न्यायपालिका का नेतृत्व करें. सोमवार के मतदान के दौरान एस्क्विवेल पर आरोप लगे कि उन्होंने 1980 के दशक के अंत में अपनी स्नातक की डिग्री हासिल करने के लिए एक अकादमिक पेपर की चोरी की थी. सोमवार को ओब्रादोर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का चुनाव “स्वतंत्र” और “निष्पक्ष” था, लेकिन उन्होंने न्यायपालिका की आलोचना की.
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लोपेज ओब्रादोर ने दावा किया, “न्यायिक शाखा का अपहरण कर लिया गया है, पैसे और आर्थिक शक्ति द्वारा इसको ग्रहण कर लिया गया है. दरअसल राष्ट्रपति ओब्रादोर ने कांग्रेस के जरिए कई विवादास्पद कानूनों को आगे बढ़ाया लेकिन उन्हें कोर्ट ने लागू होने से रोक दिया. इसलिए वो चाहते थे कि एक करीबी मुख्य न्यायाधीश के रूप में चुनी जाए जिससे उनके लिए आगे का रास्ता आसान हो.
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