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उल्कापिंड का एक बड़ा रूप क्षुद्र ग्रह बुधवार को पृथ्वी के पास से होकर गुजरने जा रहा है। नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ स्टडीज ने इस उल्कापिंड का नाम 1998 OR2 बताया है। भारतीय समय के अनुसार ये उल्कापिंड दोपहर 3.30 बजे के आसपास पृथ्वी के करीब से होकर निकलेगा।
वहीं अभी तक जो जानकारी मिली है उसके अनुसार यह पृथ्वी से लगभग 40 लाख मील की दूरी से गुजरेगा। इस वजह से पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है। इस उल्कापिंड की खोज हवाई द्वीप समूह पर नीट नाम के प्रोग्राम के तहत की गई थी। इसकी रफ्तार 19 हजार किलोमीटर प्रति घंटा बताई जा रही है। ये एक ऐतिहासिक खगोलीय घटना होगी। इसके बाद ये क्षुद्र ग्रह 2079 में आएगा। उस समय ये पृथ्वी के ज्यादा करीब होगा।
इस उल्कापिंड का आकार अनुमानित व्यास 1.1 से 2.5 मील (1.8 से 4.1 किलोमीटर) बताया जा रहा है। जोकि अमेरिका के मैनहट्टन आइलैंड के बराबर चौड़ा है। खास बात यह है कि इसकी आकृति किसी मास्क लगाए हुए चेहरे जैसी नज़र आ रही है। इसका आकार एवरेस्ट की तरह भी कहा जा सकता है।
भविष्य में खतरनाक हो सकता है
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस उपग्रह को संभावित खतरनाक वस्तु के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि इसका आकार 500 फीट से भी बड़ा है। और ये पृथ्वी की कक्षा के 75 लाख किलोमीटर के भीतर आता है। इतना बड़ा आकार होने की वजह से ये भविष्य के लिए खतरा बन सकता है।
इस बारे में अरेकिबो वेधशाला के विशेषज्ञ फ्लेवियन वेंडीटी ने बताया कि साल 2079 में यह उल्कापिंड इस साल की तुलना में पृथ्वी के करीब 3.5 गुना ज्यादा पास होगा, इसलिए इसकी कक्षा को ठीक से जानना जरुरी है।
गौरतलब है कि हर 100 साल में उल्कापिंड के धरती से टकराने की 50 हजार संभावनाएं होती हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों के अनुसार उल्कापिंड जैसे ही पृथ्वी के पास आता है तो जल जाता है।
हालांकि आज तक इतिहास में ऐसे मामले बहुत कम सामने आएं हैं जब इतना बड़ा उल्कापिंड धरती से टकराया हो। धरती पर ये उल्कापिंड कई छोटे-छोटे टुकड़े में गिरते है। इससे किसी भी प्रकार का कोई नुकसान अभी तक नहीं हुआ है।