न्यूज डेस्क
देश में विभागों के विलय का दौर जारी है। अभी हाल ही में केंद्र सरकार ने 10 बैंकों का विलय किया है। बैंकों के विलय से देश में अब इनकी संख्या घटकर 12 रह गयी है। इसी की तर्ज पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी लगातार विभागों के विलय करने में लगी हुई है। खबर है कि प्रदेश सरकार चकबंदी विभाग का विलय राजस्व विभाग में करने जा रही है।
इससे नाराज राजस्व विभाग से जुड़े विभिन्न संवर्गों के सेवा संगठनों ने रविवार को राजस्व महासंघ का गठन किया है। इसके साथ ही अगले महीने सड़क पर उतरने का ऐलान किया है।
इस महासंघ के संयोजक निखिल शुक्ला जबकि अध्यक्ष अनुराग सिंह है। उन्होंने बताया कि विभागों के विलय से समस्याएं घटने की बजाय बढ़ जाएंगी। ऐसा करने से राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के हित तो प्रभावित होंगे साथ ही चकबंदी व्यवस्था में सुधार संबंधी उद्देश्य भी सफल नहीं हो पाएंगे।
1100 गांवों में शुरू तक नहीं हुई चकबंदी
उन्होंने कहा कि प्रत्येक 20 वर्ष में चकबंदी होनी चाहिए। लेकिन अभी तक 1100 गांवों में पहले चक्र की चकबंदी शुरू तक नहीं हो पाई है। इन गांवों में लगभग सौ वर्ष के बंदोबस्त अभिलेख मौजूद हैं। इनके नवीनीकरण न होने से भूमि विवाद होते रहते हैं।
उन्होंने बताया कि चकबंदी प्रक्रिया खत्म होने से सार्वजनिक प्रयोग की भूमि, विद्यालय, स्कूल, चकमार्ग, नाली, बंजर, आदि उपलब्ध नहीं हो सकते। इसके अलावा भूमि विवाद भी कई हद तक बढ़ सकते है।
इतने पद हैं रिक्त
इसके अलावा पहले ही राजस्व विभाग में नायब तहसीलदारों के 1234 पदों के सापेक्ष 1000 व राजस्व निरीक्षकों के 4281 पदों के सापेक्ष 1000 पद रिक्त हैं। दोनों विभागों के विलय से कार्यप्रणाली से अनभिज्ञ व गैर अनुभवी कर्मी व अधिकारी राजस्व में आ जाएंगे।
पदोन्नति व ज्येष्ठता पर पड़ेगा असर
वहीँ ऐसा करने से राजस्व अधिकारियों की पदोन्नति व ज्येष्ठता खतरे में भी समस्या हो जाएगी। यदि सरकार ने चकबंदी विभाग का राजस्व में विलय किया तो संवर्ग के बैनर तले 40 हजार अधिकारी व कर्मचारी अक्तूबर से सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे।