जुबिली न्यूज डेस्क
जब कोई महिला मां बनती है तो उसके आहार पर खास ध्यान दिया जाता है। कहा जाता है कि मां जितना अच्छा खायेगी बच्चा उतना स्वस्थ होगा।
लेकिन अब एक शोध में इस बात के संकेत निकल कर आये हैं कि होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर सिर्फ मां ही नहीं बल्कि पिता के भी खान-पान असर पड़ता है। इसलिए पिता बनने वाले पुरुषों को भी अपने आहार पर खास ध्यान देना चाहिए।
बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए गर्भवती महिला से कहा जाता है कि वह सलीके का खाना खाएं, सिगरेट न पिएं, शराब न पिएं। सारी बंदिशें मांओं के लिए होती हैं, लेकिन पिता को कोई नहीं कहता था कि उसे अपने होने वाले बच्चे की सेहत के लिए क्या करना चाहिए।
विज्ञान पत्रिका साइंस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक पिता का ज्यादा घी-तेल वाला खान पान वीर्य के माध्यम से बच्चे तक पहुंचता है और उसके मेटाबोलिज्म पर नकारात्मक असर डालता है।
चूहों पर शोध
शोधकर्ताओं की दो टीमों का कहना है कि बहुत अधिक वसा या कम प्रोटीन वाला खाना चूहों में कुछ खास जीन के रेगुलेशन को बदल देता है। एक दूसरी टीम ने इंसानों पर भी इसी तरह के असर के सबूत दिए।
डायबिटीज का खतरा
ये दोनों कमजोरियां अक्सर डायबिटीज की पहली स्टेज मानी जाती हैं। शरीर में ये कमियां 15वें सप्ताह के बाद और अधिक हो जाती हैं। रिसर्च में पिताओं के वीर्य में रीबोन्यूक्लेइक एसिड आरएनए में अंतर पाया गया।
अमेरिका की नेवादा यूनिवर्सिटी की एक टीम ने नर चूहों के एक दल को छह महीने तक 60 प्रतिशत और दूसरे को 10 प्रतिशत वसा वाला खाना खिलाया। दोनों के वीर्यों से गर्भाधान कराया गया।
दोनों समूहों के बच्चों को एक जैसा आहार दिया गया। शुरू में विकास में कोई अंतर नहीं दिखा, लेकिन 7वें हफ्ते के बाद अधिक चर्बी वाले पिताओं के बच्चों में ग्लुकोज टॉलरेंस और इंसुलीन रेसिस्टेंस में कमी पाई गई।
दरअसल आरएनए का एक हिस्सा पिता के खाने की आदतों की सूचना रखता है। इस सूचनाओं की वजह से मेटाबोलिज्म का जीन सुगर या कार्बोहाइड्रेट को पहचानने में अक्सर नाकाम रहा।
आरएनए का काम
वीर्य में उपस्थित आरएनए जीनोटाइप में संरक्षित जेनेटिक सूचनाओं को शरीर की कोशिकाओं के प्रोटीन कारखाने तक पहुंचाता है। वह इसके अलावा जीन को भी रेगुलेट करता है।
पिताओं को ये है सलाह
यदि आप स्वस्थ बच्चा चाहते हैं तो अभी से अपने खान पान और कसरत का ख्याल रखिए और अगर पिता सावधान रहें तो वे मांओं की भी स्वस्थ रहने में मदद कर सकते हैं।
हाल में कोपेनहैगेन यूनिवर्सिटी में इंसानों पर हुए एक टेस्ट में मोटापे के जीन वीर्य के माध्यम से अगली पीढ़ी को दिए जा सकते हैं। इस मामले में वीर्य में जेनेटिक अंतर पाए गए।