जुबिली न्यूज डेस्क
कहते है जिंदगी जीने के लिए लाइफ में हर चीझ की जरुरत होती है. ऐसे में लाइफ पार्टनर जिंदगी का बेहद ही महत्वपुर्ण हिस्सा होता है.
एक स्टड़ी में खुलासा हुआ कि जीवनसाथी को खोने से पुरुषों के एक साल के भीतर मरने की आशंका 70% अधिक हो जाती है. एक अध्ययन में पाया गया है कि जीवनसाथी को खोने का दुःख सबसे ज्यादा पुरुषों पर असर डालता है.
स्टडी में शोधकर्ताओं ने डेनमार्क, यूके और सिंगापुर के 65 और उससे अधिक उम्र के लगभग दस लाख डेनिश नागरिकों के डेटा का अध्ययन किया है.
पुरुषों की मौत होने की आशंका 70% अधिक
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अध्ययन में पाया गया कि कम उम्र के लोग जब अपने जीवनसाथी को खो देते थे, तो एक साल के भीतर उनके मरने की आशंका अधिक हो जाती है. कुल मिलाकर, शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जीवनसाथी को खोने के बाद के वर्ष में, पुरुषों की मृत्यु होने की आशंका 70% अधिक थी, जबकि महिलाओं में मृत्यु की आशंका 27% अधिक थी.
एजिंग रिसर्च के सह-निदेशक डॉन कैर कहते हैं, सामान्य रूप से वृद्धावस्था का अर्थ मृत्यु का उच्च जोखिम है, और कपल अक्सर अपने जीवन शैली की आदतों और अन्य व्यवहारों को साझा करते हैं जो स्वास्थ्य में बड़ी भूमिका निभाते हैं, जैसे आहार और व्यायाम. इन सभी से उनके जीवित रहने की संभावना ज्यादा रहती है, लेकिन जैसे ही वह बिछड़ जाते हैं उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है.
सभी उम्र के पुरुषों में मृत्यु दर में वृद्धि है
आश्चर्य की बात यह थी कि अध्ययन में युवा पुरुषों को जीवनसाथी की हानि से महिलाओं की तुलना में अधिक कठिन लग रहा था. जीवनसाथी खोने के दुःख से कम उम्र के पुरुषों में तीन साल तक मृत्यु का जोखिम बढ़ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी उम्र के पुरुषों में मृत्यु दर में वृद्धि जोखिम है.
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वृद्धावस्था में अकेलापन मौत का बड़ा कारण है. अध्ययन में जीवनसाथी को खोने से पहले और बाद में लोगों के स्वास्थ्य देखभाल के खर्चों पर डेटा भी शामिल था. ऐसे समय में लोगों को डिप्रेशन से जूझना पड़ता है. खाने-पीने में कमी के कारण कमजोरी जैसी स्थिति होने लगती है, जिससे तरह-तरह की बीमारियां साथ पकड़ने लगती है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल का खर्च भी बढ़ने लगता है.
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