न्यूज़ डेस्क।
जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती से आम लोगों समेत राज्य की राजनैतिक पार्टियों में भी असमंजस की स्थिति है। नेशनल कांफ्रेंस से लेकर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) तक केंद्र सरकार की अमरनाथ यात्रा रद्द करने और अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करने के फैसले की अपने-अपने नजरिये से व्याख्या कर रही हैं।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने जहां शनिवार को राज्यपाल से मुलाकात कर राज्य में डर के माहौल का जिक्र किया था, तो रविवार को पीडीपी प्रमुख और भूतपूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कई ट्वीट्स और मीडिया के जरिए केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, ‘यात्रियों, टूरिस्टों, मजदूरों, छात्रों और क्रिकेटरों को बाहर निकाल दिया गया है। जानबूझकर पैनिक और डर का माहौल बनाया जा रहा है लेकिन कश्मीरियों को सुरक्षा और राहत देने की जहमत नहीं उठा रहे। कहां गई इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत?’
क्या कहा था अमित शाह ने ?
बता दें कि एक जुलाई को गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर राज्यसभा जवाब देते हुए कहा था कि हमारी सरकार की नीति जम्हूरियत, इंसानियत और कश्मीरियत की है। उन्होनें कहा था कि मैं नरेन्द्र मोदी सरकार की तरफ से सदन के सभी सदस्यों तक ये बात रखना चाहता हूं कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं और इसे कोई देश से अलग नहीं कर सकता।
अमित शाह ने कहा कि जम्हूरियत सिर्फ परिवार वालों के लिए ही सीमित नहीं रहनी चाहिए। जम्हूरियत गांव तक जानी चाहिए, चालीस हज़ार पंच, सरपंच तक जानी चाहिए और ये ले जाने का काम हमने किया। जम्मू कश्मीर में 70 साल से करीब 40 हजार लोग घर में बैठे थे जो पंच-सरपंच चुने जाने का रास्ता देख रहे थे। क्यों अब तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं कराये गये, और फिर जम्हूरियत की बात करते हैं। मोदी सरकार ने जम्हूरियत को गांव-गांव तक पहुंचाने का काम किया है।
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