न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। जल्द ही 5 रुपए प्रति डोज से कम कीमत वाली दवाएं मूल्य नियंत्रण सूची (प्राइस कंट्रोल लिस्ट) से बाहर हो सकती हैं। सरकार और दवा उद्योग के सूत्रों के मुताबिक, देश की आवश्यक दवा की राष्ट्रीय सूची (नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिन) को अपडेट किया जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो दवा निर्माता इन दवाओं की कीमतों में हर साल 10 फीसदी की दर से वृद्धि कर सकेंगे।
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दवाओं के मूल्य के नियंत्रण को लेकर गठित स्थायी राष्ट्रीय समिति (स्टैंडिंग नेशनल कमेटी ऑन मेडिसिन) साल 2015 में तैयार हुई अहम दवाओं की सूची को अब अपडेट करने जा रही है। इसके लिए समिति और हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) की बैठक चार नवंबर से शुरू हो गई।
बता दें कि फिलहाल देश के एक करोड़ छत्तीस लाख रुपए के घरेलू दवा बाजार में से 19 फीसदी मूल्य नियंत्रण के दायरे में आता है। इसमें से भी चार से पांच फीसदी ऐसी दवाएं हैं, जिनकी कीमत पांच रुपए प्रति डोज से कम है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दवा उद्योग तकरीबन एक साल से पांच रुपए से कम प्रति डोज वाली दवाओं को मूल्य नियंत्रण सूची से बाहर किए जाने की पैरवी कर रहा था। उद्योग के प्रतिनिधियों ने इसके लिए सरकार से मुलाकात भी की थी।
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बाजार में मौजूद प्रतिस्पर्धा इन दवाओं की कीमत को नियंत्रण में रखने के लिए काफी है। नई सूची तैयार करने वाली टीम में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि इंडस्ट्री के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।