जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। 2 फरवरी 2010 से 30 मार्च 2012 के बीच नवल किशोर ने तत्कालीन बैंक प्रशासक से हाईकोर्ट के आदेश को छिपाया और गलत तरीके से प्रस्ताव पारित कराए। जबकी हाईकोर्ट ने किसी भी नीतिगत फैसले लेने पर रोक लगाई थी।
यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड में मनमाने तरीके से फैसले लेने, लाखों रुपये के घोटाले और हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार कर 99 कर्मचारियों की नियुक्ति के मामले में भ्रष्टाचार निवारण की विशेष अदालत ने तत्कालीन प्रबंध निदेशक नवल किशोर को दोषी ठहराया है।
बैंक की शाखाओं में नवल किशोर की मिलीभगत से 400 बोर्ड लगाने वाले विनोद गुप्ता को भी अदालत ने दोषी ठहराया है। अदालत ने दोनों को जेल भेजने का आदेश देते हुए 29 मार्च को सजा सुनाने के लिए तलब किया है।
भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ला ने विनोद गुप्ता की पत्नी सीता को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। विशेष अनुसंधान ब्यूरो ने मामले में दो चार्जशीट दायर की थी।
सरकारी वकील नवीन त्रिपाठी व प्रतिभा राय ने कोर्ट को बताया कि उ. प्र. सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड के तत्कालीन महाप्रबंधक प्रशासन आलोक दीक्षित नें जांच अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर 11 जनवरी 2013 को हुसैनगंज थाने में नवल किशोर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
गैर क़ानूनी भर्तियां कीं और नियम विरुद्ध प्रमोशन दिया
हाईकोर्ट के निर्देश के विपरीत 99 कर्मियों की सीधी भर्ती कर ली, यही नहीं 385 नियम विरुद्ध प्रोन्नतियां कीं। वहीं, मनमाने फैसलों से पहुंचाया बैंक को नुकसान भी पहुंचाया। इसके अलावा मामला दर्ज होने के साथ ही बैंक की शाखाओं में 400 बोर्ड लगाने संबंधी घोटाला भी सामने आया था।