जुबिली न्यूज डेस्क
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से बाहर निकालकर सबको चौंका दिया है। आकाश आनंद, जिन्हें उन्होंने खुद सियासी तौर पर तैयार किया था और पार्टी में नेशनल कॉर्डिनेटर का पद देकर अपना उत्तराधिकारी माना था, अब पार्टी से बाहर हो गए हैं। जब मायावती को आकाश के व्यवहार में कुछ खटका, तो उन्होंने बिना किसी झिझक के सख्त कार्रवाई की। मायावती अपने कड़े फैसलों के लिए जानी जाती हैं, और जब भी उन्हें लगता है कि किसी नेता की महत्वकांक्षाएं बढ़ रही हैं या वह उनके लिए खतरा बन सकते हैं, तो उन्हें पार्टी से बाहर निकालने में देर नहीं लगातीं।
बहुजन समाज पार्टी में ऐसे कई नेता हैं जिन्हें मायावती ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है। इनमें कुछ ऐसे दिग्गज भी शामिल हैं जिन्होंने पार्टी की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब 1984 में कांशीराम ने बसपा की स्थापना की, तो उन्होंने कई नेताओं को तैयार करना शुरू किया था। जैसे-जैसे पार्टी का विस्तार हुआ, कई नेता इससे जुड़ते गए। जब मायावती ने बसपा की बागडोर संभाली, तो उन्होंने कई नेताओं को आगे बढ़ने का मौका दिया, लेकिन जब उन्हें लगा कि किसी नेता की महत्वकांक्षाएं बढ़ रही हैं या वह उनके लिए खतरा बन सकते हैं, तो उन्होंने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।
इन्हे दिखाया बाहर का रास्ता
बहुजन समाज पार्टी में कई ऐसे नेताओं की लंबी सूची है जिन्होंने पार्टी की नींव रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन मायावती के नेतृत्व में उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इनमें दद्दू प्रसाद, आरके चौधरी, राज बहादुर, मसूद अहमद, बरखूराम वर्मा, सोनेलाल पटेल, दीनानाथ भास्कर, बाबू सिंह कुशवाहा, सुखदेव राजभर जैसे दिग्गज शामिल हैं। इन नेताओं ने न केवल पार्टी की वृद्धि में मदद की, बल्कि उत्तर प्रदेश में जब पहली बार बसपा की सरकार बनी, तो उन्हें मंत्री पद भी सौंपा गया था।
लेकिन 1995 में जब मायावती प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, तो कई नेताओं के साथ उनके मतभेद बढ़ने लगे। दीनानाथ भास्कर, जो 1993 में सपा के साथ गठबंधन सरकार में मंत्री थे, को मायावती ने 1996 में पार्टी से बाहर कर दिया। इसके अलावा, मसूद अहमद और राज बहादुर को भी पार्टी से निकाल दिया गया। 2002 में आरके चौधरी को पार्टी से बाहर किया गया, हालांकि 2007 में वह वापस पार्टी में लौटे, लेकिन 2017 में उन्हें फिर से पार्टी से बाहर कर दिया गया। दद्दू प्रसाद भी मायावती के साथ मंत्री पद पर थे, लेकिन 2015 में उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया। बाबू सिंह कुशवाहा को भी मायावती ने पार्टी से निकाला, जबकि सुखदेव राजभर ने अंतिम समय तक मायावती से नाराजगी जताई और उनका निधन हो गया।
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इसके अलावा, कई अन्य नेताओं जैसे जयवीर सिंह, नसीमुद्दीन सिद्दिकी, स्वामी प्रसाद मौर्य, रामअचल राजभर, रामवीर उपाध्याय, और ब्रजेश पाठक ने भी मायावती की नाराजगी का सामना किया और बाद में उन्होंने अपने सियासी रास्ते बदल लिए।