जुबिली न्यूज डेस्क
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें देते हुए कहा कि आज का दिन देश के लगभग 140 करोड़ गरीब मेहनतकश बहुजनों के लिए तभी विशेष होगा जब वे दरिद्रता से मुक्त अपना व अपने परिवार का जीवन खुश व खुशहाल पायेंगे,जिससे देश का मान-समान में चार चांद लगेगा.
बसपा चीफ ने कहा कि यह तभी संभव है जब खासकर केन्द्र व यूपी सरकार की सोच ‘हर हाथ को काम देने वाली सही संवैधानिक अर्थात् सच्ची अम्बेडकरवादी होगी जैसा कि उत्तर प्रदेश में चार बार रही BSP की सरकार में करके दिखाया गया.
बसपा चीफ ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के संबंध में BJP व यूपी सरकार द्वारा बहु-प्रचारित ‘हर घर तिरंगा’ के तहत् ‘आइए, मिलकर तिरंगा फहराएं’, देशभक्ति की अलख जगाएं’ स्लोगन वाले भारी भरकम प्रचार व विज्ञापनों का संज्ञान लेते हुए उन्होंने इसे राजनीति से अधिक प्रेरित ज्वलन्त समस्याओं से जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास बताया, क्योंकि देश के लोगों में देशभक्ति की भावना की रत्ती भर भी कोई कमी नहीं है. बल्कि उनकी देशभक्ति का ही परिणाम है कि अपार गरीबी, बेरोजगारी व महंगाई आदि के कारण करोड़ों लोगों को दाल-रोटी भी सही से नहीं मिल पा रहा है फिर भी वे सभी गरीब व मेहनतकश लोग देश की तरक्की व विकास में पूरे तन, मन, धन से लगातार संघर्षरत हैं.
मायावती ने कहा कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था के विकास का दावा करते नहीं थकती है, किन्तु अगर गरीब लगातार गरीब है और मेहनतकश समाज के लोगों की कमाई नहीं बढ़ रही है तथा देश में प्रति व्यक्ति आय भी बहुत कम है तो फिर BJP के ऐसे दावे हवा-हवाई नहीं तो फिर और क्या है? अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया का रिकार्ड स्तर पर गिरता भाव आत्मनिभर्रता को प्रभावित करता है, जिस पर भी समुचित ध्यान देना जरूरी.
‘हर हाथ को काम देने’ वाली ईमानदार नीयत
उन्होंने कहा कि वास्तव में आज देश की पहली जरूरत ‘हर हाथ को काम देने’ वाली ईमानदार नीयत व नीति बनाकर उस पर दिल-जान से काम करने की है. जैसा कि यूपी में BSP की चार बार रही सरकारों में करके भी दिखाया जा चुका है, लेकिन यह तभी संभव है जब बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों के इशारे पर नहीं बल्कि सही अम्बेडकरवादी संवैधानिक सोच के हिसाब से कार्य किया जाए. स्वतंत्रता का सही अर्थ है लोगों के जीवन स्तर में जरूरी सुधार, जिसके लिए सरकार को संविधान के प्रति पूरी तरह से जिम्मेवार होकर, भावनात्मक मुद्दों के जरिए लोगों का ध्यान भटकाने के बजाय, वास्तव में कल्याणकारी सरकार की भूमिका निभानी चाहिए.