जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. मोहर्रम को लेकर उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल के हस्ताक्षर से जारी गाइडलाइन के बाद शिया धर्मगुरुओं में ज़बरदस्त गुस्सा है. धर्मगुरुओं ने इसे उत्तर प्रदेश का माहौल खराब करने की साज़िश बताया है. धर्मगुरुओं ने कहा है कि डीजीपी का बयान झूठ का पुलिंदा है. मौलाना कल्बे जवाद ने कहा है कि यह डीजीपी का नहीं अबूबक्र बगदादी का बयान लगता है. उन्होंने उत्तर प्रदेश के सभी जिलों की मोहर्रम कमेटियों से अपील की है कि इस गाइडलाइन के वापस होने तक वह पुलिस द्वारा बुलाई किसी भी मीटिंग में न जाएं. डीजीपी की चिट्ठी को लेकर आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड आज बैठक कर अपनी रणनीति तय करेगा.
डीजीपी मुकुल गोयल के बयान को अबूबक्र बगदादी का बयान बताते हुए शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा है कि डीजीपी ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है. पूरा बयान ही झूठ का पुलिंदा है. मौलाना ने इस पत्र में शियों पर लगाए गए आरोपों के सबूत मांगे हैं. अपने आवास पर बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में मौलाना कल्बे जवाद ने कहा है कि मोहर्रम हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में होता है. इसमें मातम और मजलिस होते हैं. इसमें कहाँ तबर्रा पढ़ा जाता है. कहाँ जानवरों के ऊपर आपत्तिजनक नाम लिखे जाते हैं. उसकी उत्तर प्रदेश में कहीं कोई एफआईआर हुई हो तो दिखाएँ.
मौलाना कल्बे जवाद ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की मोहर्रम कमेटियां अब पुलिस की किसी भी मीटिंग में शामिल न हों. उन्होंने कहा कि यह बयान मोहर्रम के प्रोग्राम को खराब करने की साजिश के सिवाय कुछ नहीं है. इस बयान को वापस लेने तक अब पुलिस से किसी भी किस्म की बात नहीं होगी.
मौलाना कल्बे जवाद ने इस बात पर भी सख्त एतराज़ जताया है कि इस पत्र में गोवंश के वध की बात कही गई है. इसमें यौन सम्बन्धी घटनाओं का ज़िक्र किया गया है. मौलाना ने कहा कि दरअसल यह गाइडलाइन नहीं बल्कि मोहर्रम मनाने वालों के खिलाफ चार्जशीट है. मोहर्रम मनाने वालों पर झूठे इल्जाम हैं. तबर्रा पढ़ने, आवारा जानवरों पर नाम लिखकर छोड़ने जैसी बातें भ्रम फैलाने के लिए लिखी गई हैं. इस गाइड लाइन में मोहर्रम को झगड़े की जड़ बताया गया है. जबकि मोहर्रम शान्ति और मोहब्बत का पैगाम देता है. मोहर्रम को शिया-सुन्नी और हिन्दू सब मनाते हैं.
मौलाना कल्बे जवाद ने कहा है डीजीपी के पत्र में वह बातें लिखी हैं जो तालिबान शियों पर आरोप लगाता है. उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में वह हुकूमत से बात करेंगे. यह बात नरेंद्र मोदी और अमित शाह तक जायेगी. सियासी जलसों में हज़ारों का मजमा लग रहा है और मोहर्रम को रोकने के लिए इस हद तक गिरे जा रहे हैं. उन्होंने पूछा कि क्या सियासी लोगों से कोरोना दूर भागता है.
आल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना यासूब अब्बास ने इस मुद्दे पर कहा कि ऐसा लगता है कि डीजीपी के किसी वहाबी मित्र ने यह गाइडलाइन तैयार की है. आल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड इसका विरोध करता है. मोहर्रम त्यौहार नहीं है. यह हज़रत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत के गम में होता है.
उन्होंने कहा कि तबर्रा पढ़ने की बात गलत है. शिया मोहर्रम के जुलूस में रोता हुआ और अपना खून बहाता हुआ जाता है. आवारा पशुओं पर किसने आपत्तिजनक नाम लिखा, दिखाएँ. यह अज़ादारी को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश है. पतंगों पर तबर्रा लिखे जाने की बात कही गई है वह भी गलत है. अगर सही है तो एक भी एफआईआर दिखाएं डीजीपी.
उन्होंने कहा कि डीजीपी के बयान की भरपूर मजम्मत. मोहर्रम में कहाँ गाय काटी जाती है. कोई एक वाकया बताएं? मोहर्रम में तो सरों पर कमा लगाईं जाती है. उन्होंने कहा कि डीजीपी मोहर्रम को जानते नही हैं. मोहर्रम खाली शिया नहीं बल्कि सुन्नियों के दूसरे फिरके भी मनाते हैं. हिन्दू भी ताजिये रखते हैं. मोहर्रम शुरू होने से पहले ही डीजीपी ने उत्तर प्रदेश का माहौल खराब कर दिया है.
मोहर्रम के मद्देनजर डीजीपी ऑफिस की तरफ से जारी दिशानिर्देश पर शिया चाँद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ़ अब्बास ने नाराजगी का इजहार किया. उन्होंने कहा कि शिया समुदाय के धार्मिक जज़्बात को ठेस पहुंचाई गई है और शिया समुदाय के ऊपर गलत इल्जाम लगाए गए हैं.
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ऐसे लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की ज़रूरत है जो धार्मिक जज़्बात को भड़का कर प्रदेश की फिजा खराब कर रहे हैं. इस मामले में मौलाना ने प्रदेश के सभी उलेमा और तंजीमो से अपील की है कि आपके शहर में अगर जिला इंतजामिया की तरफ से कोई मीटिंग बुलाई जाती है तो आप उसका बहिष्कार करें जब तक कि ये पत्र वापस न हो जाए.