प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने जहां मुसलमानों को निराश किया था वहीं मथुरा कोर्ट ने उनमें यह भावना फिर से जगा दी कि इंसाफ किया जा रहा है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले की सुनवाई आज मथुरा कोर्ट में थी.
रंजना अग्निहोत्री व छह अन्य लोगों ने अदालत से कहा था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही ईदगाह मस्जिद के कब्ज़े से 13.37 एकड़ ज़मीन मन्दिर को वापस दिलवाई जाए. मथुरा कोर्ट ने वादियों के पक्ष को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी.
पिछले सोमवार को मथुरा कोर्ट में इस सम्बन्ध में याचिका दायर की गई थी. अदालत ने 30 सितम्बर सुनवाई की तारीख तय की थी. आज जज के सामने वादियों ने अपनी बात रखी. पूरी बात सुनने के बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दी. याचिका में कहा गया था कि 1968 में हिन्दू-मुसलमानों के बीच जो समझौता हुआ था उसे खारिज कर दिया जाए.
दरअसल अयोध्या मामले में बाबरी मस्जिद बनाम राम जन्मभूमि विवाद में मालिकाना हक़ का मामला था. अदालत ने मालिकाना हक़ रामलला का माना था. इसी नाते काशी और मथुरा मामले में भी यही कोशिश की गई कि इस मामले को मालिकाना हक़ से जोड़ दिया जाए, लेकिन काशी-मथुरा समेत सभी धार्मिक स्थलों के विवादों को मुकदमेबाजी से रोक दिया गया.
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अयोध्या का फैसला राम मन्दिर के पक्ष में आने के बाद नागेन्द्र महाराज ने नारा दिया कि अयोध्या तो झांकी थी मथुरा काशी बाकी है. उन्होंने कहा कि अयोध्या बड़ा विवाद था. काशी-मथुरा में कोई विवाद नहीं है. अयोध्या के फैसले की तरह काशी-मथुरा में भी सहमती बन जायेगी. इसी को देखते हुए यह याचिका दायर की गई थी. जज ने वादियों को सुनने के बाद इस मामले को मुकदमा चलाने लायक नहीं माना और याचिका को खारिज कर दिया.