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बृहस्पतिवार को लोकसभा में तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान जमकर हंगामा हुआ। एक ओर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसके पक्ष में जोरदार दलीलें पेश कीं, वहीं एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में तीन तलाक बिल के खिलाफ जोरदार तर्क पेश किए।
असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में तीन तलाक बिल का विरोध करते हुए कहा कि अगर शौहर तलाक देता है तो उसे मेहर की रकम का कई गुना बीवी को देना होता है और ये जन्म जन्म का साथ नहीं है, बल्कि एक जन्म का कॉन्ट्रैक्ट है। इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है, इसे जन्म-जन्म का मसला मत बनाइये। ये सरकार उस वक्त कहां गई थी, जब इनके एक मंत्री पर मीटू का इल्जाम लगा था। 23 लाख हिंदू महिलाएं अपने पति से अलग रह रही हैं और इनके लिए सरकार के पास कुछ नहीं है।
लोकसभा में ओवैसी ने कहा कि पति की गिरफ्तारी के बाद क्या कोई शौहर पत्नी को मुआवजा दे पाएगा, पति जेल में बैठा रहे और औरत तीन साल तक उसका इंतजार करती रहे, शादी से निकलने का हक उस औरत को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि बेल देने का अधिकार कोर्ट को है लेकिन हत्या में भी पीड़ित को नहीं सुना जाता है।
ओवैसी ने कहा कि सरकार शादी को खत्म कर रही है, औरत को सड़क पर ला रही है, शौहर को जेल में डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक तलाक नहीं होता तो किस बात की सजा दे रहे हैं। ओवैसी ने कहा कि मुस्लिमों को तहजीब से दूर करने के लिए यह बिल लाया गया है साथ ही उन्होंने कहा कि इस्लाम में शादी जनम-जनम का साथ नहीं है, यह एक कॉन्ट्रैक्ट है। जिदंगी की हद तक है और हम उसमें खुश हैं। सबको तकलीफ मालूम हैं जिनकी शादी हो चुकी है और तभी सब हंस रहे हैं।
ओवैसी ने कहा कि यह बिल संविधान के खिलाफ है। तीन तलाक को अपराध बना दिया है, कोर्ट ने समलैंगिकता को गैर अपराधिक बना दिया है, ऐसे में आप तीन तलाक को अपराध बनाकर नया हिन्दुस्तान बनाने जा रहे हैं। ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक अगर गलती से कहा जाए तो शादी नहीं टूटती और सुप्रीम कोर्ट भी यह कह चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार इस कानून के जरिए मुस्लिम औरतों पर जुल्म कर रही है।
लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जा चाहिए और पतियों से अलग रहने को मजबूर सभी धर्मों की महिलाओं के लिए एक कानून बनना चाहिए।
बहस के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “यह विधेयक धर्म या मजहब से नहीं, यह नारी की गरिमा से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि तीन तलाक से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ मिलना चाहिए। सीजेआई ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताते हुए कानून बनाने के लिए कहा था। कोर्ट के फैसले के बाद भी देश में तीन तलाक के 345 मामले सामने आए।”
लोकसभा में तीन तलाक विधेयक दूसरी बार पास
लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक विधेयक चर्चा के बाद पास हो गया। इसके पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े। यह दूसरी बार है जब विधेयक लोकसभा में पास किया गया। इससे पहले फरवरी में भी बिल को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन राज्यसभा ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। इसके बाद नई सरकार ने नियमों के तहत विधेयक को दोबारा लोकसभा में पेश किया था।
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