यशोदा श्रीवास्तव
काठमांडू।भारतीय नागरिकों की ही तरह अमेरिका ने नेपाल के नागरिकों हथकड़ी और बेड़ियों के साथ नेपाल वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नेपाल की ओली सरकार तो अमेरिका के इस हरकत पर खामोश है लेकिन प्रमुख विपक्षी दल माओवादी केंद्र ने इस पर नाराजगी जताई है और अमेरिका सरकार की निंदा की है।
बता दें कि दलालों के मार्फत बेहतर जीवन का सपना संजोकर अमेरिका गए 9 नेपाली नागरिकों को बुधवार को हथकड़ियां और बेड़ियां पहनाकर चार्टर्ड विमान से नेपाल भेज दिया गया।
यह निष्कासन ऐसे समय में हुआ जब अमेरिका खुद को मानवाधिकार और समानता का वैश्विक संरक्षक बताता है, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट नजर आती है। वे नेपाली युवक जो अमेरिका में अपने सपनों को साकार करने पहुंचे थे, उन्हें हथकड़ियों और जंजीरों में जकड़ दिया गया।
ये बदकिस्मत लोग दुबई, यूरोप, ब्राजील और मैक्सिको के खतरनाक रास्तों से होते हुए अमेरिका पहुंचे थे। किसी ने घने जंगलों में महीनों गुजारे, किसी ने जानलेवा समुद्री लहरों का सामना किया, तो किसी ने तपते रेगिस्तान मे अपने पैर जलाए। अमेरिकी सीमा पर पहुंचते ही उन्हें कैद कर लिया गया और 11 महीने बाद अमानवीय तरीके से निर्वासित कर दिया गया।
इन युवाओं ने अपनी पूरी जिंदगी की जमा पूंजी, 40 लाख से 90 लाख नेपाली रुपये तक खर्च कर दी थी।
अमेरीका की इस क्रूरतम हरकत पर माओवादी केंद्र लुंबिनी प्रदेश के वरिष्ठ नेता मौलाना मशहूद खान नेपाली ने इस घटना पर गहरा दुख और आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि यह सिर्फ 9 नेपाली नागरिकों का निष्कासन नहीं है, बल्कि पूरी नेपाली अस्मिता पर हमला है। क्या गरीब होना अपराध बन चुका है? क्या नेपाली श्रमिकों की गलती सिर्फ इतनी है कि वे भी बेहतर जीवन का सपना देखते हैं? अगर आज हमने आवाज नहीं उठाई, तो कल और भी हमारे भाइयों और बहनों की इज्जत इसी तरह रौंदी जाएगी।
उन्होंने कहा अमेरिका अगर वास्तव में न्याय और समानता में विश्वास रखता है, तो फिर यह दोहरा मापदंड क्यों? अगर कोई अमीर व्यक्ति अमेरिका जाता है, तो उसका स्वागत किया जाता है, लेकिन अगर एक गरीब मजदूर वहां बेहतर भविष्य की आस लेकर पहुंचे, तो उसे जंजीरों में जकड़ दिया जाता है।
मौलाना मशहूद खान नेपाली ने नेपाल सरकार से तत्काल अमेरिकी राजदूत को तलब कर इस अमानवीय व्यवहार के खिलाफ सख्त विरोध दर्ज कराने और स्पष्ट जवाब मांगने की अपील की।
उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि नेपाल सरकार को यह साबित करना होगा कि वह अपने नागरिकों की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए गंभीर है।
मालूम हो कि 2020 से अब तक 35 नेपाली नागरिक अमेरिका से निष्कासित किए जा चुके हैं।
जो बाइडेन के कार्यकाल में अब तक 9,000 नेपाली बिना वीजा अमेरिका में दाखिल हुए हैं।
अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) की हिरासत में 2,008 नेपाली नागरिक हैं।
3,500 नेपाली नागरिकों को अमेरिकी अदालतों से निष्कासन के आदेश मिल चुके हैं, जिनमें से 2,000 पहले ही वापस भेजे जा चुके हैं, जबकि 1,500 अभी TPS (Temporary Protected Status) के तहत कानूनी संरक्षण में हैं।
मौलाना मशहूद खान नेपाली ने कहा अगर आज हमने विरोध नहीं किया, तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा। नेपाल सरकार को अपने स्वाभिमान का परिचय देना होगा, नहीं तो जनता खुद सड़कों पर उतर आएगी!”