जुबिली पोस्ट ब्यूरो
गोरखपुर। प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और अनुदानित उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े की जांच कर रही एसटीएफ की गोरखपुर इकाई ने जिला बेसिक शिक्षाधिकारी दफ्तर पर छापा मार कर हड़कंप मचाया हुआ है। इस दौरान बीएसए के कई अधिकारी एसटीएफ के रडार पर है।
एसटीएफ ने पिछले दिनों बीएसए बीएन सिंह और बाबू अजय सिंह से पूछताछ भी की। एसटीएफ ने जेल भेजे गए पूर्व माध्यमिक विद्यालय पौहरिया राव बड़हलगंज के फर्जी शिक्षक मुक्तिनाथ से संबंधित विस्तृत जानकारी तलब की है।
फर्जी शिक्षकों की एक सूची देकर उनके शैक्षिक प्रमाण पत्र व दस्तावेज मांगे हैं। सारी जानकारी एक सप्ताह के भीतर देनी है।
गोरखपुर- बस्ती मंडल के सात जिलों की शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में बड़ी धांधली की गई है। इसकी जांच एसटीएफ की गोरखपुर इकाई कर रही है। इंस्पेक्टर सत्यप्रकाश सिंह की अगुवाई में एक जांच टीम बीते सोमवार को बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर के दफ्तर पहुंची, इससे हड़कंप मचा रहा।
टीम ने सबसे पहले शिक्षकों की नियुक्ति के सत्यापन का काम देख रहे बाबू से पूछताछ की थी, फिर बीएसए से जानकारी ली। एसटीएफ ने पूछा कि मुक्तिनाथ के शैक्षिक दस्तावेज पर संदेह था तो बर्खास्तगी क्यों नहीं की गई?
बीए, बीएड की मार्कशीट के सत्यापन भी हीलाहवाली हुई। मनाही के बाद वेतन जारी किया गया। इस प्रकरण से संबंधित अफसर, कर्मचारी की जानकारी एसटीएफ ने मांगी है। साथ ही 2009 से 2016 के बीच नियुक्ति पाने वाले कुछ और शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेज पर सवाल खड़े किए। पूरी सूची दी और जानकारी मांगी है।
एसटीएफ ने सिद्धार्थनगर में शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े से संबंधित कुछ सवाल भी दागे हैं। इससे अफसर, बाबू असहज भी दिखे। एसटीएफ की पूछताछ में एक बाबू रोने लगा और कहा कि जांच एजेंसी को सारी जानकारी दी जाएगी।
मिली जानकारी के मुताबिक गोरखपुर व बस्ती मंडल के सभी जिलों में दागी 13 करोड़पति बाबू एसटीएफ के रडार पर है। जानकारी के मुताबिक रडार पर परिषदीय स्कूलों के 200 से अधिक शिक्षकों के साथ एडेड विद्यालय के भी शिक्षक हैं संदिग्ध।
जिसमें रामहर्ष दास सरस्वती मंदिर लघु माध्यमिक विद्यालय मुडली, देवदह महराजगंज और रामचंद्र जूनियर हाई स्कूल केशौली, बृजमनगंज, महराजगंज में नियुक्ति दोनों प्रधानाध्यापक संदेह के घेरे में हैं।
वहीं सुस्मिता पटेल पत्नी संदीप कुमार पटेल का मामला और पेचीदा होता जा रहा है। इनको बीएड किये 5 वर्ष भी नही हुए/ न ही 5 वर्ष का अनुभव प्रमाणपत्र ही लगाया गया है और मनमानी तरीके से इनकी नियुक्ति कर दी गयी। प्रधानाध्यापक की नियुक्ति के लिए जो मानक है उसे वो पूर्ण ही नही करती हैं।