इंटरनेशनल डेस्क
चीन के वीटो लगाने की वजह से जैश-ए-मोहम्मद का सरगना आतंकी मसूद अजहर वैश्विक आतंकी घोषित होने से बच गया लेकिन इस दिशा में एक बार फिर पहल शुरू हो गई है। मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के मामले में अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने चीन से बात की है। इस बातचीत में सुरक्षा परिषद के तीनों सदस्य देशों ने मसूद अजहर के खिलाफ चीन से समझौता करने का प्रयास किया है। बताया जा रहा है कि यह बातचीत अच्छी रही और जल्द ही इस मामले में नया मोड़ आ सकता है।
इस मामले के विशेषज्ञों के अनुसार यदि इस प्रयास के बावजूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित नहीं किया जाता तो तीन स्थायी सदस्य इस मुद्दे पर खुली बहस के लिए प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की सबसे शक्तिशाली शाखा में पेश करने की योजना बना रहे हैं। मालूम हो कि चीन ने अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया था, जबकि इस प्रस्ताव को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने पेश किया था।
भारत ने भी चीन के इस रुख के प्रति निराशा जताई थी। अमेरिका ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर चीन हमारा साथ नहीं देगा तो हम दूसरे तरीके अपनाएंगे। हालांकि सुरक्षा परिषद समिति की आंतरिक वार्ताएं गोपनीय रखी जाती हैं, लेकिन इस बार आतंकवादी को बचाने के चीन के अनुचित दृष्टिकोण से हताश परिषद के कई सदस्यों ने अपनी पहचान गोपनीय रखते हुए मीडिया को बताया कि चीन किस प्रकार नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।
ऐसा माना जा रहा है कि प्रस्ताव के मूल प्रायोजक पिछले 50 घंटों से चीन के साथ ‘सद्भावना’ वार्ता कर रहे हैं, जिसे मामले के कई जानकार लोगों ने ‘समझौता’ करार दिया है। इसका मतलब है कि अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति में वैश्विक आतंकवादी तो घोषित किया जाएगा, लेकिन उसे आतंकवादी घोषित करते समय इस्तेमाल की जाने वाली भाषा ऐसी होगी, जो चीन के लिए स्वीकार्य हो।
ऐसी भी चर्चा है कि अजहर को आतंकवादी घोषित किए जाने की भाषा में चीन ने ‘कुछ बदलावो’ का सुझाव दिया है और अमेरिका, ब्रिटेन तथा फ्रांस इन सुझावों पर विचार कर रहे हैं। तीनों देशों ने संकेत दिया है कि यदि प्रस्ताव का मूल भाव नहीं बदलता और अंतत: अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाता है तो वे भाषा में बदलाव करने के चीन के अनुरोध को मानने के इच्छुक हैं।