जुबिली न्यूज डेस्क
पूर्वोंत्तर राज्य मणिपुर में पत्रकारों और अखबारों के दफ्तरों पर हमला और उसके विरोध में अखबार और टीवी के प्रसारण पर रोक कोई नई बात नहीं है। हां यह जरूर है कि इन घटनाओं को मुख्यधारा की मीडिया में जगह नहीं मिलती।
यदि यही घटना दिल्ली में हो जाए तो सुर्खियों में आ जाती है, लेकिन मणिपुर की ऐसी घटनाओं से किसी को सरोकार नहीं होता।
रविवार को मणिपुर में एक मीडिया हाउस पर बम से हमला हुआ था। इस हमले के विरोध में संपादकों और पत्रकारों के धरने पर होने की वजह से मणिपुर में बीते चार दिन से न तो कोई अखबार छपा है और न ही टीवी चैनलों पर खबरों का प्रसारण हो रहा है।
हालांकि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने उक्त हमले की जांच चार-सदस्यीय विशेष कार्य बल (एसआईटी) को सौंपी है, लेकिन इस मामले में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं हुई है।
इस बीच, मणिपुर राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले में राज्य सरकार से 25 फरवरी को रिपोर्ट मांगी है। वहीं आयोग ने मीडिया से भी अपना आंदोलन वापस लेने का अनुरोध किया है।
क्या है मामला
रविवार को एक महिला हमलावर ने राजधानी इंफाल स्थित मणिपुरी भाषा के प्रमुख अखबार पोक्नाफाम के दफ्तर पर बम से हमला किया। महिला ने दफ्तर पर एक चीन-निर्मित ग्रेनेड फेंका। कर्मचारियों का सौभाग्य था कि वह ग्रेनेड फटा नहीं।
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इस मामले में पुलिस का कहना है कि यदि वह ग्रेनेड फट गया होता को वहां मौजूद भारी संख्या में लोगों की मौत हो सकती थी।
हालांकि इस मामले में अब तक किसी भी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। पुलिस की जांच में भी कोई ठोस सुराग नहीं मिल सका है।
हां, सीसीटीवी फुटेज में एक मोटरसाइकिल सवार अकेली महिला को अखबार के दफ्तर के सामने रुक कर बम फेंकते हुए देखा गया है।
घटना के खिलाफ लामबंद हुई मीडिया
इस घटना से पत्रकारों में आक्रोश हे। पत्रकार संगठनों की अपील पर इस हमले के खिलाफ लामबंद होकर तमाम अखबार और संपादक हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग में सोमवार से धरने पर बैठ गए।
चौतरफा बढ़ते दबाव के बीच मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंप दी है। सीएम ने विधानसभा में एक बयान में कहा, “यह मीडिया पर एक कायराना हमला था। मैं इसकी निंदा करता हूं। हमलावरों को शीघ्र गिरफ्तार कर लिया जाएगा।”
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उन्होंने मीडिया संगठनों से आम लोगों के हित में काम शुरू करने की अपील करते हुए अखबारों को सुरक्षा मुहैया कराने का भी भरोसा दिया है।
#InSolidarity
IJU President @PathakGeetartha addressing the media persons after taking part in Sit-in protest jointly staged by All Manipur Working Journalists Union and Editor Guild Manipur in Imphal against the bomb threat to press.@IFJGlobal pic.twitter.com/e6ww95J1Np— Indian Journalists Union (@iju_india) February 14, 2021
मणिपुर में ऐसी घटना कोई नई नहीं है। पहले भी इंफाल में कई अखबारों के दफ्तरों पर हमले हो चुके हैं और उनके खिलाफ संपादक व पत्रकार कई सप्ताह तक धरना भी दे चुके हैं।
इंफाल से 32 अखबारों का प्रकाशन होता है जिनमें से ज्यादातर स्थानीय भाषा के हैं। इसके अलावा केबल टीवी के कई चैनलों का भी प्रसारण किया जाता है।
इससे पहले बीते साल 25 और 26 नवंबर 2020 को एक उग्रवादी संगठन की धमकी की वजह से राज्य में न तो कोई अखबार छपा और न ही टीवी चैनलों का प्रसारण हुआ। इसके विरोध में मणिपुर प्रेस क्लब के सामने पत्रकारों ने धरना भी दिया।
साल 2013 में भी जब कुछ संगठनों ने अपने बयानों को बिना किसी काट-छांट के छापने की धमकी दी थी, तो चार दिनों तक अखबारों का प्रकाशन बंद रहा था। उससे पहले 2010 में भी दस दिनों तक अखबार नहीं छपे थे।
असुरक्षित हैं पत्रकार
मणिपुर में उग्रवादी संगठनों की धमकियों के बीच जान हथेली पर लेकर काम करना पत्रकारों की नियति बन गई है। इन संगठनों का इस कदर खौफ है कि कोई भी संपादक या पत्रकार किसी संगठन का नाम नहीं लेना चाहता।
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रविवार को अखबार के दफ्तर पर हुए हमले के बाद ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन और एडिटर्स गिल्ड ऑफ मणिपुर के बैनर तले संपादकों और पत्रकारों ने हमलावरों की गिरफ्तारी, पत्रकारों और मीडिया घरानों को सुरक्षा मुहैया कराने समेत कई मांगों के समर्थन में धरना शुरू किया है।
इन संगठनों के एक साझा प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांगों के समर्थन में मुख्यमंत्री बीरेनको एक ज्ञापन भी सौंपा है।
इस बीच, मणिपुर राज्य मानवाधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष खैदम मानी ने राज्य सरकार से इस मुद्दे पर 25 फरवरी तक रिपोर्ट देने को कहा है।
उन्होंने मीडिया संगठनों से भी राज्य के आम लोगों के हित में काम शुरू करने की अपील की है। प्रदर्शनकारी संगठनों के एक प्रवक्ता ने कहा है कि ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स और एडिटर्स गिल्ड ऑफ मणिपुर की साझा बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी।