जुबिली न्यूज डेस्क
बंगाल और केंद्र सरकार आए दिन किसी न किसी बात को लेकर आमने-सामने रहते हैं। एक बार फिर बंगाल के मुख्य सचिव के दिल्ली तबादले को लेकर केंद्र सरकार और ममता सरकार आमने-सामने हैं।
बंगाल की मुख्यममंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली भेजने से इनकार कर दिया है।
सीएम ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर यह साफ किया है कि केंद्र इस मामले में एकतरफा फैसला नहीं ले सकता है। उन्होंने केंद्र के इस फैसले को असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दिया है।
मोदी को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिखा है- ‘बंगाल सरकार इस महत्वपूर्ण समय पर अपने मुख्य सचिव को नहीं भेज सकती है, और इसलिए नहीं भेज रही है।’
उन्होंने कहा है कि हमारी समझ है कि मौजूदा कानूनों के मुताबिक वैध परामर्श के बाद उनका सेवा विस्तार का पूर्व आदेश जारी किया गया है जो वैध है। कुछ दिन पहले राज्य में कोरोना महामारी से निपटने में मदद के लिए बंदोपाध्याय का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ाने का केंद्रीय आदेश जारी किया गया था।
मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के दिल्ली बुलाने का मामला उस घटना के बाद हुआ है जब पीएम मोदी बंगाल में ‘यास’ तूफान से हुए नुकसान का जायजा लेने गए थ। उन्होंने इसको लेकर एक बैठक बुलाई थी।
केंद्र सरकार का आरोप है कि उस बैठक में ममता और राज्य के मुख्य सचिव अलपन शामिल नहीं हुए और प्रधानमंत्री के प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया।
इस विवाद की शुरुआत तब हुई थी जब केंद्र सरकार ने आरोप लगाया था मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आधे घंटे तक इंतज़ार करवाया था, उसके बाद भी उनके साथ बैठक में शामिल नहीं हुईं।
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केंद्र के इन आरोपों का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बाद में खंडन किया था। ममता ने आरोप लगाया था कि उल्टे मुख्यमंत्री और उनकी टीम को कई मिनटों तक इंतजार कराया गया था। उन्होंने कहा कि जब उनकी टीम पहुंची तो उन्हें कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी जरूरी बैठक ले रहे हैं और इस कारण उन्हें इंतजार करना पड़ा था।
केंद्र सरकार का आरोप था कि ‘प्रधानमंत्री तूफान राहत व बचाव कार्य की समीक्षा करना चाहते थे, पर राज्य सरकार की ओर से कोई उस बैठक में शामिल नहीं हुआ। मुख्यमंत्री और राज्य के मुख्य सचिव उस समय उसी भवन में थे जिसमें बैठक हो रही थी, लेकिन वहां जाना उन्होंने उचित नहीं समझा।’
वहीं ममता सरकार ने कहा था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी से मुलाकात कर उन्हें तूफान ‘यास’ से हुए नुकसान की जानकारी दी, उनके साथ 15 मिनट रहीं और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। इसके बाद वे राहत व बचाव कार्यों का जायजा लेने के लिए पहले से तय एक बैठक में चली गईं।
राज्य सरकार का यह भी कहना था कि केंद्र को पहले ही यह जानकारी दे दी गई थी कि राहत समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री नहीं रहेंगी, बावजूद इस मामले को तूल दिया गया।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकरियों की प्रतिनियुक्ति के नियम 6 (1) के तहत किसी राज्य के काडर के अधिकारी की प्रतिनियुक्ति संबंधित राज्य की सहमति से की जा सकती है।
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काडर नियम-1954 के तहत प्रावधान है कि कोई असहमति होने पर संबंधित राज्य सरकार केंद्र सरकार के फैसले को प्रभावी कर सकती है।
‘एनबीटी’ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार के पूर्व सचिव जवाहर सरकार ने कहा था कि केंद्र के लिए एकतरफा तरीके से आईएएस या आईपीएस अधिकारी का तबादला करना मुश्किल है, जो उसके नियंत्रण में नहीं है बल्कि संघ के भीतर दूसरे सरकार के अधीन है।