जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। अगला साल भारतीय राजनीति के लिए काफी अहम है। दरअसल इस साल कई राज्यों में विधान सभा चुनाव हो रहे हैं। अभी हाल में ही तीन राज्यों में हुए विधान सभा चुनाव में बीजेपी का दबदबा देखने को मिला लेकिन असली चुनौती है 2024 में होने वाले चुनाव की।
कांग्रेस जहां अभी खास रणनीति बनाकर आगे बढ़ रही है तो दूसरी ओर पूरे विपक्ष को एक होने की सलाह भी दे रही है लेकिन ममता बनर्जी शायद अपनी अलग राह पकड़ रखी है। दरअसल ममता बनर्जी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाना चाहती है।
कहने का मतलब है कि अपनी पार्टी को नेशनल स्तर पर विस्तार देना चाहती है। इसके अलावा वो खुद भी राष्ट्रीय स्तर का नेता बनने की कोशिशों में जुटी है लेकिन हाल में हुए विधान सभा चुनाव में उनकी पार्टी कोई खास कमाल नहीं कर सकी।
त्रिपुरा में तो पार्टी खाता तक नहीं खुल सका जबकि मेघालय में सिर्फ पांच सीट टीएमसी ने अपने नाम किया। ऐसे में टीएमसी प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का राष्ट्रीय नेता बनने की तरफ बढ़ते कदम को जोरदार झटका लगा है।
मेघालय में ममता की पार्टी ने जीत का दम जरूर भरा था लेकिन उनकी पार्टी वहां पर सुपर फ्लॉप रही। इतना ही नहीं रही सही कसर तो पश्चिम बंगाल की सागरदिघी सीट पर हुए उपचुनाव में मिली हार ने पूरी कर दी।
वहां पर वाम समर्थित उम्मीदवार की जीत ने ममता बनर्जी को झटका दिया है। इन हारों से एक बात तो साफ है कि ममता की पार्टी बंगाल में तो राजा है लेकिन अन्य राज्यों उसकी पार्टी के लिए अभी दिल्ली दूर है। इन नतीजों को देखते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि 2024 के चुनावों में टीएमसी अकेले चुनावी मैदान में जाएगी। उन्होने कहा कि 2024 का चुनाव हम अकेले लड़ेंगे, हम लोगों के समर्थन से लड़ेंगे। मेरा मानना है कि जो लोग भाजपा को हराना चाहते हैं वे निश्चित रूप से टीएमसी को वोट देंगे।