जुबिली न्यूज़ डेस्क
बिहार में परचम फहराने के बाद भारतीय जनता पार्टी अब पश्चिम बंगाल में परचम फहराने की तैयारी में जुट गई है। पिछले कुछ दिनों से पश्चिम बंगाल की सियासत का पारा चढ़ा हुआ है। बीजेपी और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच जुबानी जंग अब और तीखी होती जा रही है।
अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होना है। बीजेपी इसकी तैयारियों में लंबे समय से लगी हुई है। अब बीजेपी अपने लावा-लश्कर और मुद्दों के साथ मैदान में उतर गई है। बीजेपी को भलिभांति इस बात का एहसास है कि बिहार उत्तर प्रदेश की तरह पश्चिम बंगाल में जातियों का असर नहीं होता। इसलिए बीजेपी अपने सबसे बड़े चुनावी हथियार हिंदू राष्ट्रवाद के भरोसे मैदान में उतर गई है।
दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस ने फैसला किया है कि पार्टी ‘बंगाली गौरव’ का आह्वान करके बीजेपी के हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला करेगी। टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के सुर में सुर मिलाते हुए टीएमसी नेताओं ने बीजेपी को बार-बार ‘बाहरी’ लोगों की पार्टी कहकर हमला करना शुरू कर दिया है।
हालांकि, अभी बीजेपी की ओर से बंगाल में बिना किसी चेहरे के साथ ही चुनाव में कूदने की बात कही जा रही है और पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की चर्चा है। लेकिन ममता के ‘बाहरी लोगों’ के जवाब में बीजेपी किसी ऐसे चेहरे की तलाश में लगी है जो बंगाल का ही हो और ममता के चेहरे को चुनौती दे सके।
लंबे वक्त से ये कयास लग रहे हैं कि बीजेपी की ओर से सौरव गांगुली मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं। हालांकि, इसकी कोई पुष्टि नहीं कर रहा है। इन कयासों पर अब तृणमूल कांग्रेस की प्रतिक्रिया आई है, टीएमसी सांसद सौगत रॉय का कहना है कि अगर सौरव ऐसा फैसला लेते हैं तो उन्हें काफी दुख होगा।
सौगत रॉय ने कहा कि सौरव गांगुली सभी बंगालियों के लिए एक आइकन हैं, अगर वो राजनीति में आते हैं तो मैं खुश नहीं होऊंगा। वो बंगाल से इकलौते क्रिकेट कप्तान रहे, टीवी शो के कारण भी फेमस हैं। उनका राजनीति में कोई बैकग्राउंड नहीं हैं, ऐसे में वो यहां नहीं टिक पाएंगे।
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टीएमसी सांसद ने कहा कि सौरव गांगुली को देश और गरीबों की समस्याओं के बारे में नहीं पता है, ना ही उन्हें गरीबी और मजदूरों की दिक्कत की जानकारी है। बीजेपी पर तंज कसते हुए सौगत रॉय ने कहा कि बीजेपी के पास मुख्यमंत्री पद का कोई उम्मीदवार नहीं है, इसी वजह से वो इस तरह की बातें फैला रहे हैं।
वहीं, ममता सरकार में मंत्री ब्रात्य बसु ने सवाल उठाते हुए कहा, “बीजेपी ने बंगाल के अपने किसी सांसद को पूर्ण कैबिनेट बर्थ क्यों नहीं दी है? उनका एकमात्र उद्देश्य बंगालियों को नियंत्रित करना है ताकि हम उनके अधीन रहें। क्या हालात इतने खराब हैं कि बंगाल और बंगाली उनके आगे झुक जाएंगे? क्या बंगालियों को दूसरे राज्यों के नेताओं को स्वीकार करना चाहिए जिन्हें हम पर थोपा जाए?”
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बसु ने कहा, “क्या वे यूपी या गुजरात में एक भी ऐसा मंत्री बता सकते हैं जिसका सरनेम- चटर्जी, बनर्जी, सेन या गांगुली हो? क्योंकि वे वहां रहने वाले बंगालियों को अपना नहीं मानते! वहां बंगाली बाहरी समझे जाते हैं।”
बंगाल में “अंदरूनी बनाम बाहरी” की बहस के बीच राज्य के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने पलटवार करते हुए कहा, “बीजेपी ने खुद को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थापित किया है और एक बंगाली डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस पार्टी की स्थापना की थी।
वे (टीएमसी) बंगाली गौरव की बात करते हैं, लेकिन उन्होंने बंगालियों के लिए किया क्या है? टीएमसी ने बंगालियों को प्रवासी मजदूरों में बदल दिया है।” बता दें कि बंगाल में मई 2021 में चुनाव होना है, ऐसे में अभी से ही टीएमसी और बीजेपी में जंग जारी है।