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सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चिदंबरम को अग्रिम जमानत देना सुप्रीम कोर्ट के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। क्योंकि उनकी जमानत का सीधा असर विजय माल्या, मेहुल चौकसी, नीरव मोदी और जाकिर नाइक जैसे मामलों पर पड़ेगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सबूत दिखाकर बिना गिरफ्तारी पूछताछ की मांग का विरोध करते हुए कहा कि जांच कैसे हो, एजेंसी ज़िम्मेदारी से इसका फैसला लेती है। जो आरोपी आज़ाद घूम रहा है, उसे सबूत दिखाने का मतलब है बचे हुए सबूत मिटाने का न्योता देना।
तुषार मेहता ने कहा कि जांच को कैसा बढ़ाया जाए, ये पूरी तरह से एजेंसी का अधिकार है। केस के लिहाज से एजेंसी तय करती है कि किस स्टेज पर किन सबूतों को जाहिर किया जाए और किन को नहीं। अगर गिरफ्तार करने से पहले ही सारे सबूतों, गवाहों को आरोपी के सामने रख दिया जाएगा तो ये तो आरोपी को सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने और मनी ट्रेल को ख़त्म करने का मौक़ा देगा।
उन्होंने कहा कि पी चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि अपराध की गंभीरता ‘सब्जेक्टिव टर्म’ है। PMLA के तहत मामले उनके लिहाज से गंभीर नहीं होंगे, पर हकीकत ये है कि इस देश की अदालतें आर्थिक अपराध को गंभीर मानती रही हैं।
दरअसल सिब्बल ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि 7 साल से कम तक की सज़ा के प्रावधान वाले अपराध को CRPC के मुताबिक कम गंभीर माना जाता है।
तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में अपराध देश की अर्थव्यवस्था के खिलाफ है। ऐसे मामलों में सज़ा का प्रावधान चाहे कुछ भी हो, सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक अपराध को हमेशा गंभीर अपराध माना है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर ये मामला सेक्शन 45 PMLA के अंतर्गत भी नहीं आता हो तब भी ये मामला CrPC के सेक्शन 438 के अंतर्गत जरूर आता है, जिससे हमें गिरफ्तारी का हक़ मिलता है। इसके साथ ही तुषार मेहता ने सीलबंद रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी और कहा कि कोर्ट अगर चाहे तो इसको खोल सकता है।
वहीं पी चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने बहस शुरू की। सिब्बल ने कहा कि इस मामले में कई सालों तक कोई भी जवाबी हलफनामा नहीं दाखिल किया गया। सिब्बल की ओर से एक नोट कोर्ट को दिया गया, जिसको हुबहु हाई कोर्ट के फैसले में लिखा गया है। सिब्बल ने कहा कि किसी भी दस्तावेज़ को केस डायरी में शामिल नहीं किया जा सकता और इसको कोर्ट में साबित करना होगा।
कपिल सिब्बल ने कहा कि आर्टिकल 21 मेरा संरक्षण करता है। अग्रिम जमानत मेरा अधिकार है, मेरा अधिकार मुझसे नहीं छीना जा सकता है। ED ने एक भी फ़र्ज़ी संपत्ति, फ़र्ज़ी बैक अकाउंट के बारे में कोर्ट में नही बताया। मैं एक सम्मानित टैक्स पेयर हूं। मैं समय पर टैक्स देता हूं। सिब्बल ने कहा कि ED के हलफनामे में बैंक अकाउंट प्रोपर्टी के बारे में है लेकिन अभी तक कोर्ट में एक भी दस्तावेज़ नहीं पेश किया गया।
5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला
फ़िलहाल पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की गिरफ्तारी से 5 सितंबर तक की राहत मिली है। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर किए गए केस में अग्रिम ज़मानत अर्ज़ी खारिज कर देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पी चिदंबरम की अर्ज़ी पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला 5 सितंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया है।
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