पोलिटिकल डेस्क
70 के दशक में उसका जलवा इस कदर रहा था कि चम्बल से हजारो मील दूर तक लोग उसके नाम का जिक्र करते थे। उसकी कहानियां लोगो में दिलचस्पी जगाती थी , और उसकी रोबदार मूंछे उसके खाफ से बीहड़ को कंपकपा देती थी , कभी चम्बल का बागी मलखान सिंह फिलहाल सियासत के जंगल में अपना रूतबा तलाश रहा है।
यही मलखान सिंह अब शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के टिकट पर धौरहरा लोकसभा सीट से प्रत्याशी हैं जहाँ वे कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद को चुनौती देंगे।
मलखान सिंह की बन्दूक बीहड़ में खूब गरजी। मलखान के गिरोह पर 32 पुलिसवालों सहित 185 हत्याओं का आरोप लगा। जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने 80 के दशक में डकैतों के समर्पण की योजना चलाई तो मलखान ने भी आत्मसमर्पण कर दिया। सरकार की ओर से मिली जमीन पर खेती शुरू की और फिर अध्यात्म का रुख कर लिया।
मगर मलखान की सियासत में रुचि बनी रही। 2014 के लोकसभा चुनावो में मलखान ने भाजपा का प्रचार किया। उसने समकालीन बागी मोहर सिंह कांग्रेस की तरफ गए। मलखान कहते थे कि कांग्रेस के चलते ही वह डाकू बनने पर मजबूर हुए थे इसलिए वह भाजपा का प्रचार कर रहे हैं। और मोहर सिंह का कहना था कि कांग्रेस के कारण ही वो बीहड़ो से निकल पाए। अपने अपने तर्कों के साथ ये दोनों बागी सियासत के मैदान में उतरे थे।
2016 में नोटबंदी के दौरान मलखान सिंह की एक तस्वीर खूब चर्चा में आई जब वे ग्वालियर के एक बैंक में पैसे निकालने के लिए लाइन में खड़े हुए थे। 2018 के मध्य प्रदेश विधान सभा चुनावो में भी मलखान भिंड के इलाके में भाजपा का प्रचार कर रहे थे।
मलखान बीते दिनों अपने एक बयान से भी सुर्ख़ियों में आये। पाकिस्तान को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा था
“मध्यप्रदेश में 700 बागी बचे हैं। अगर सरकार इजाजत दे तो बिना किसी शर्त या वेतन के हम बॉर्डर पर देश के लिए लड़ने और मारने के लिए तैयार हैं। हमने 15 साल बीहड़ों में कथा नहीं बांची है। मां भवानी की कृपा रही, तो मलखान सिंह का कुछ नहीं बिगड़ेगा, लेकिन हां, पाकिस्तान को जरूर धूल चटा देंगे। अगर मैं अपनी बात से पीछे हटा तो मेरा नाम मलखान नहीं। ”
भिंड के इलाके में मलखान को मामा के नाम से जाना जाता है। भिंड मुरैना के इलाके में लम्बे बाल, रोबीली मूंछे और लम्बा लाल टीका मलखान सिंह को एक ब्रांड में तब्दील कर देता है।
कुछ दिन पहले तक मलखान सिंह भाजपा के नेताओं के साथ अगली कतार में बैठे नजर आते थे , मगर अब वो समाजवादी पार्टी के बागी शिवपाल के सिपहसालार हैं।
चम्बल के बीहड़ो से सैकड़ो किलोमीटर दूर धरौहरा के सियासी मैदान में मलखान सिंह का ब्रांड वोट कितना बटोर पायेगा ये बाद की बात है , लेकिन धरौहरा के वोटरों के सामने वोट के लिए हाँथ जोड़े ब्रांड मलखान मीडिया की सुर्खियां जरूर बटोरेगा।