- मिडिल क्लास फेमली के लिए बहुत एक्सपेंसिव गेम है निशानेबाजी
- ममेरी बहन के खेल से प्रभावित हो कर शूटिंग में आई
जुबिली स्पेशल डेस्क
गौतम बुद्ध नगर/नई दिल्ली। निशानेबाजी का खेल बहुत खर्चीला है। इसे मिडिल क्लास फेमली वहन (खर्चा वहन ) नही कर सकता है। इसलिए मिडिल क्लास के बच्चे इस फील्ड में आने से परहेज करते हैं लेकिन ‘खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स’ जैसा प्लेटफॉर्म अगर मिल जाय तो हम जैसे बच्चे अपने सपने को साकार कर सकते हैं।
यह कहना है नासिक की रहने वाली आर्या राजेश का जो खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में सावित्री बाई फुले यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व कर रही है।
मुम्बई जैसे ग्लैमरस शहर में रहकर पढ़ाई लिखाई करने वाली आर्या राजेश खेल के प्रति इतनी समर्पित है कि उन्हें
फिल्मी दुनिया एक हद तक ही पसंद है। वह बताती है कि फिल्मों का ग्लैमर तो कुछ दिनों का होता है लेकिन स्पोर्ट्स का ग्लैमर जिंदगी भर का होता है।
आर्या राजेश में अपनी मौसेरी बहन को निशानेबाजी का खेल खलते हुए देख कर इस फील्ड में आई। उनके खेल की जर्नी वर्ष 2019 से शुरू हुई और पिछले साल 2022 में जर्मनी में हुए इंटर्न8चैम्पियन में उनकी टीम ने गोल्ड मेडल जीता था। उनका शार्ट टर्म गोल नेशनल चैंपियन जितना है जबकि लॉन्ग टर्म गोल ओलंपिक पदक जितना है।
मध्यमवर्गीय परिवार से होने की वजह से आर्थिक परेशानियों से पार पाने के लिए उनके माता पिता (माधवी और पिता राजेश) ने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए बैंक से लोन लेकर निशानेबाजी की ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं।
आर्या राजेश बताती है कि लोन को भरने का भी एक प्रेसर है खेल में अब्बल आने का। ऐसे में मेरे ऊपर डबल दबाव है। लेकिन मैं घबराती नही हूं। क्योंकि इस गेम ने कंसन्ट्रेट करना सीखा दिया है।