Saturday - 26 October 2024 - 3:17 PM

सिर्फ किसान नेता नही, किवदंति बन चुके हैं टिकैत

धर्मेंद्र मलिक

15 मई को किसान मसीहा चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत जी की 8वीं पुण्यतिथि समस्त देश में जनपद स्तर पर जल-नदी-पर्यावरण बचाओं संकल्प दिवस के रूप में मनाई जा रही है। आज ही किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की घर्म पत्नी श्रीमती बलजोरी देवी की भी पुण्यतिथि है। और आज ही चौधरी टिकैत पर बनने वाली एक लघु फिल्म का पोस्टर भी जारी हो रहा है  ।

पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष व किसान नेता अशोक बालियान का कहना है कि किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने अपनी यूरोप यात्रा के समय दुनिया के देशों के सामने कहा था कि देश में जल की उपलब्‍धता और उसकी गुणवत्‍ता में गिरावट सबके लिए चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी कहा था कि हमे नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने व् उनको जोड़ने के लिये भी काम करना होगा।

एक समय ऐसा आया था कि ठेठ ग्रामीण स्‍वभाव और बुलंद हौसले के धनी चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत ने सिसौली से लेकर दिल्‍ली तक किसानों को आवाज को सुनने के लिए सरकारों को मजबूर कर दिया था।

चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने जीवन भर किसानों के हितों का संघर्ष जारी रखा। चौधरी टिकैत ने राजनीति को प्रभावित करते हुए भी खुद को हमेशा इससे दूर रखा।

चौधरी टिकैत ने सिर्फ किसानों के मुद्दे ही नहीं उठाये, बल्कि वह क्षेत्र में सामजिक एकता के भी पक्षधर थे। मुजफ्फरनगर के सीकरी गावं एक गरीब मुस्लिम की बेटी नईमा का 1989 में अपहरण कर लिया गया था और बलात्कार के बाद नईमा की हत्या कर दी गई थी। नईमा की हत्या के खिलाफ टिकैत ने नईमा के शव को लेकर हाईवे पर जाम लगा दिया था और दिल्ली का पश्चिमी यूपी से संपर्क पूरी तरह से काट दिया था। अगस्त-सितंबर के महीने में इस मुस्लिम युवती नईमा के इन्साफ के लिए भोपा नाहर पर उनके द्वारा चलाये गये आन्दोलन ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया था।

नईमा की मौत से इलाके के किसान एकजुट होकर एक बड़ी ताकत बनकर उभरे थे। नईमा की मौत एक ऐसी घटना थी, जिसने इलाके के लोगों को एकजुट कर दिया था। इतने बड़े किसान नेता टिकैत सरल स्वभाव के थे और अपनी देहाती शैली के कारण क्षेत्र में उनकी अलग पहचान थी।


साल 1935 में जन्मे चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत महज आठ साल की उम्र में बालियान खाप के मुखिया का जिम्मा संभाल लिया था। इनकी की हुंकार से हुकूमतें कांप उठती थीं। वह सीधे दिल्ली और लखनऊ की हॉटलाइन पर आ जाते थे। उनकी एक आवाज पर किसान पशुओं को साथ लेकर जेलें भरने में जुट जाते थे।

शुरू से ही बेबाकी, सादगी और ईमानदारी के साथ जीने वाले टिकैत ने 52 वर्ष की उम्र में मुजफ्फरनगर के शामली क्षेत्र के करमूखेड़ी बिजलीघर पर पहली बार किसी बड़े किसान आंदोलन का नेतृत्व किया तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मेरठ के ऐतिहासिक धरने के बाद तो वह किसानों के सिरमौर बन गए। और किसानो की आवाज को विदेशों में जाकर दुनिया के सामने भी रखा। वह हमेशा आन्दोलन के लिए लंबे पड़ाव डालने में भरोसा करते थे। और उन्होंने किसानों के लिए हमेशा सरकारों को झुकाया।

भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि आज खेती में सिंचाई के लिए भू-जल की मांग तेज़ी से बढ़ रही है, ज़्यादातर पानी की मांग उसकी आपूर्ति से आगे निकल जाती है, खेती का तरीका उपलब्ध पानी के हिसाब से नहीं बनाया गया है ।

चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का मानना था कि जल के बिना जीवन संभव नहीं है। आज हम जल की वैश्विक समस्या के साथ स्थानीय तौर-तरीकों पर चर्चा कर रहे है। वायु और जल ये दो ऐसे तत्व हैं जिनके बिना हमारे जीवन की कल्पना एक क्षण भी नहीं की जा सकती है।

भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ नरेश टिकैत का कहना है कि हमारे देश के जलसंकट को दूर करने के लिए दूरगामी समाधान के रूप में विभिन्न बड़ी नदियों को आपस में जोड़ने की बातें कही गई हैं। इसका बहुत लाभ मिलेगा क्योंकि नदियों का जल जो बहकर सागर जल में विलीन हो जाता है, तब हम उसका भरपूर उपयोग कर सकते है।
चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत’ किसानों की आवाज और पहचान थे। और उन्होंने जीवन भर किसानों के हितों का संघर्ष जारी रखा। चौधरी टिकैत ने किसानों के लिए बहुत सी लड़ाई लड़ी हैं, लेकिन कभी सरकार के अन्याय के सामने घुटने नहीं टेके। उनकी आठवी पुण्यतीथि पर ह्रदय की गहराई से हमारा इस महान किसान नेता को नमन करते है।

 

(लेखक भारतीय किसान यूनियन से सम्बद्ध हैं) 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com