न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र पर सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का फैसला सुना दिया है। फ्लोर टेस्ट कल यानी 27 नवंबर को शाम 5 बजे तक होगा। खास बात है कि प्रोटेम स्पीकर ही सभी विधायकों को शपथ दिलाएंगे और फिर फ्लोर टेस्ट कराएंगे। प्रोटेम स्पीकर को सभी पार्टियां अपने व्हिप की जानकारी देंगी।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि प्रोटेम स्पीकर कौन बनेगा। परंपरा के अनुसार, सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है। सबसे अधिक बार चुनकर आए विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है, जिसे राज्यपाल मनोनित करते हैं।
ऐसे में जिस तरह से बीजेपी ने रातोंरात महाराष्ट्र में सरकार बना लिया था और उसके सरकार बनाने के तरीके पर सवाल उठने लगे थे। उस स्थिति को देखते हुए सवाल उठने लगा है कि प्रोटेम स्पीकर बनाने में परंपरा को फॉलो किया जाएगा या नहीं।
महाराष्ट्र विधानसभा में वरिष्ठता के आधार पर 6 नाम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भेज दिए गए हैं। इनमें कांग्रेस के बालासाहेब थोराट और बीजेपी के कालीदास कलामकर के नाम भी शामिल है।
इन दोनों नेताओं के अलावा कांग्रेस के केसी पडवी, बहुजन विकास अगाडी पार्टी के हितेंद्र ठाकुर, पूर्व स्पीकर और एनसीपी नेती दिलीप वालसे पाटील और बीजेपी के बब्बन पचपुटे के नाम राज्यपाल को भेजे गए हैं। हालांकि बालासाहेब थोराट को कांग्रेस ने विधायक दल का नेता चुन लिया है, इस लिहाज से उनके प्रोटेम स्पीकर बनने की संभावना कम ही है।
माना जा रहा है कि प्रोटेम स्पीकर जिसका होगा सरकार उसी की बनेगी। ऐसे में बीजेपी और विपक्ष के तीनों दल अपना-अपना प्रोटेम स्पीकर बनाने की जद्दोजहद में लग गए हैं।
गौरतलब है कि प्रोटेम स्पीकर में प्रोटेम शब्द लैटिन भाषा के शब्द प्रो टैम्पोर का संक्षिप्त रूप है। इस शब्द का अर्थ होता है- ‘कुछ समय के लिए।’ विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति राज्यपाल करता है और इसकी नियुक्ति तब तक के लिए होती है जब तक विधानसभा अपना स्थायी विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) नहीं चुन लेती।
प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलवाता है और शपथ ग्रहण की पूरी प्रक्रिया इन्हीं की देखरेख संपन्न कराई जाती है। सदन में जब तक विधायक शपथ नहीं ले लेते, तब तक उनको सदन का हिस्सा नहीं माना जाता। इसलिए सबसे पहले विधायकों को ही शपथ दिलाई जाती है।
जब विधायकों की शपथ हो जाती है तो उसके बाद ये लोग विधानसभा स्पीकर का चुनाव करते हैं। संसदीय परंपरा के मुताबिक राज्यपाल सदन में वरिष्ठतम सदस्यों में से किसी एक को प्रोटेम स्पीकर के लिए चुनते हैं. यही व्यवस्था विधानसभा के अलावा लोकसभा के लिए होती है।