जुबिली स्पेशल डेस्क
मुंबई। मुंबई की सियासत में इन दिनों पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह काफी चर्चा में है। उनकी वजह से महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी भूचाल भी आ गया है।
आलम तो यह है कि मायानगरी मुंबई में भले ही कोरोना को लेकर चर्चा हो रही हो लेकिन परमबीर सिंह को लेकर महाराष्ट्र की उद्धव सरकार भी सवालों के घेरे में आ गई है।
दरअसल परमबीर सिंह के एक पत्र ने उद्धव सरकार की नींद उड़ाकर रख दी थी। पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने इस पत्र में आरोप लगाया था कि प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने महाराष्ट्र पुलिस से हर महीने 100 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य दिया था।
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इसके बाद तो महाराष्ट्र की सियासत में घमासान मच गया। बीजेपी ने इस मामले को लेकर सरकार पर सवाल उठाया है। हालांकि अब भी सबकी जहन में एक ही सवाल है कि महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार कई मौकों पर परमबीर सिंह के साथ नजर आई वो अचाकन से उनकी छुट्टी कर होमगार्ड का डीजी बनाने का फैसला किया।
हालांकि कुछ लोगों को लग रहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने शायद मुकेश अंबानी की सुरक्षा के मामले को लेकर परमबीर सिंह को हटाया है लेकिन ये केवल कयास भर है इसके पीछे कोई और कहानी है।
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सूत्र बता रहे हैं कि परमबीर सिंह को मुकेश अंबानी हो या फिर सुशांत केस है, न टीआरपी स्कैम के मामले में पद से हटाया गया है।
दरअसल मीडिया रिपोट्र्स की माने तो इसके पीछे मुंबई के ही पूर्व पुलिस कमिश्नर, पूर्व मंत्री और बीजेपी सांसद सतपाल सिंह बताया जा रहा है। हालांकि यह सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगेंगा लेकिन यही सच है।
मीडिया रिपोट्र्स की माने तो महाराष्ट्र में सियासी टकराव कई महीनों से चला आ रहा है। ऐसे में शिवसेना को लेकर बीजेपी ने खास रणनीति बनायी है और उसी के अंदाज में उसे जवाब देने की कोशिश की है।
बताया जा रहा है कि सुशांत केस का मामला जब सुर्खियों में था तब ही सतपाल सिंह इस पूरे केस में लगाया गया था और गड़बड़झाले को देखने को कहा गया था।
बताया जा रहा है कि सतपाल के पास कई सनसनीखेज और संवेदनशील जानकारियां इकठ्ठा हो गई थी और शायद परमबीर सिंह की कुर्सी के लिए खतरा बन सकती थी।
बताया जा रहा है कि सतपाल के पास जो जानकारी है वो शायद सरकार भविष्य में महाराष्टï्र पुलिस के साथ ही साथ शिवसेना और उनकी सरकार के लिए भी ठीक नहीं होती। इस वजह से वक्त रहते ही शिवसेना ने परमबीर सिंह को हटाने का बड़ा फैसला लेना पड़ा ताकि उनकी सरकार के लिए खतरा न हो। शिवसेना को ये महसूस होता नजर आ रहा था कि शायद उनके लिए आगे खतरा न हो।