न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र में अपनी छीछालेदर करा चुकी बीजेपी के सामने कई सवाल है। पार्टी के भीतर और बाहर से सवाल उठ रहे हैं। सबका सवाल एक ही है कि आखिर बीजेपी ने अजित पवार पर भरोसा क्यों किया?
अब तो पार्टी के भीतर से सवाल उठने लगे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने पार्टी की रणनीति पर सवाल उठाया है। खडसे ने कहा कि अजित पवार पर सिंचाई घोटाले का आरोप है, ऐसे में पार्टी को उनका समर्थन नहीं लेना चाहिए था।
बीजेपी एनसीपी नेता अजित पवार से समर्थन लेने के सवाल का जवाब घुमा फिराकर दे रही है। फिलहाल इस सवाल के जबाव बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने दिया है। उन्होंने कहा कि अजित पवार पर पार्टी ने इसलिए भरोसा किया क्योंकि वह विधायक दल के नेता थे।
हालांकि इस सवाल का जवाब देने से देवेन्द्र फडणवीस बचते रहे। उन्होंने कहा कि ‘सही समय’ पर इस सवाल का जवाब दूंंगा।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार (27 नवंबर) को एक न्यूज चैनल से बाचतीत में अजित पवार से समर्थन लेने के सवाल का जवाब दिया। शाह ने कहा, ‘अजित को एनसीपी विधायक दल का नेता चुना गया था। सरकार बनाने के लिए अजित को अधिकृत किया था। राज्यपाल ने भी उनसे ही सरकार बनाने को लेकर बात की थी। एनसीपी ने जब पहली बार सरकार बनाने में असमर्थता जताई तो उस पत्र पर भी अजित पवार के ही हस्ताक्षर थे। हमारे पास जो समर्थन पत्र आया, उस पर भी अजित के ही हस्ताक्षर थे।’
अजित पवार से जुड़े केस वापस लिए जाने के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि उनसे जुड़ा कोई केस वापस नहीं लिया गया है।
शिवसेना से मनमुटाव के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा। हमारे गठबंधन को बहुमत मिला। यह जनादेश सिटिंग सीएम देवेंद्र जी को मिला। उन्होंने कहा कि कई रैलियों में हमने कहा था कि सीएम देवेंद्र जी होंगे। किसी ने कोई विरोध नहीं किया। मैं साफ करना चाहता हूं कि सीएम पद को लेकर भी कोई आश्वासन नहीं दिया गया था। हर रैली में हमने देवेंद्र फडणवीस को सीएम कहा है।
शाह ने कहा कि कई रैलियों में शिवसेना नेता मंच पर मौजूद थे, लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा। शिवसेना का कोई भी एमएलए ऐसा नहीं है, जिसने नरेंद्र मोदी जी का पोस्टर लगाकर वोट नहीं मांगे हैं। आदित्य ठाकरे ने भी लगाए थे।’
अमित शाह ने कहा कि जनादेश तोडऩे का काम शिवसेना ने किया। शिवसेना विचारधारा और चुनावपूर्व गठबंधन के खिलाफ कई। विचारधारा को ताक पर रखा। हम पर होर्स ट्रेडिंग (विधायकों की खरीद-फरोख्त) का आरोप लगाया जा रहा है। हमने तो किसी विधायक को होटल में नहीं रखा।
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि जोड़ तोड़कर सरकार बनाना और इसे बीजेपी की हार बताना गलत है। जनता यह बात समझती है। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की विचारधारा का जोड़ क्या है? वे हम पर होर्स ट्रेडिंग का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन उन्होंने तो सीएम पद देकर उन्होंने पूरा अस्तबल ही खरीद लिया। क्या पद का लालच खरीद-फरोख्त नहीं है।’
शिवसेना पर निशाना साधते हुए बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि शिवसेना ने अपनी विचारधारा से समझौता कर लिया। शाह ने कहा, ‘तमाम मुद्दों पर हमारा स्टैंड साफ है, जबकि शिवसेना प्रमुख चुनाव के बाद 23 तारीख को अयोध्या में दर्शन करने जाने वाले थे, लेकिन उन्होंने सीएम बनने के लिए अपना प्लान ड्रॉप कर दिया।’
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