राजीव ओझा
सुबह के सभी राष्ट्रीय अखबार महाराष्ट्र में शनिवार को शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस की सरकार बना रहे थे। टीवी चैनल भी वीकेन्ड के मूड में थे। तभी डिजिटल मीडिया ने धमाका किया। देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे और उनके डिप्टी सीएम अजित पवार ने भी शपथ ली।
डे-नाईट टेस्ट मैच तो कोलकाता में चल रहा लेकिन सुबह-सुबह मुम्बई में एक टी 20 मैच खेला गया। मुम्बई के डे- नाईट में राजनीति के चाचा शरद पवार का पावर प्ले चल रहा था, लेकिन सुबह मैच जीत लिया भतीजे अजित पवार ने। अभी तक उत्तर प्रदेश की राजनीति में चाचा-भतीजे चर्चा में थे अब महाराष्ट्र में भी चाचा-भतीजे का खेल शुरू हो गया है।
महाराष्ट्र की इस राजनीतिक टी 20 सीरीज में पहला मैच देवेंद्र फडनवीस-अजित पवार की टीम ने जीत लिया है। तड़के हुई इस राजनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक में बीजेपी ने शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस तीनों को सदमा दिया है। पहले माना जा रहा था कि शरद पवार और पीएम मोदी की भेंट का परिणाम है यह रानीतिक धोबीपाट लेकिन देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ देर बाद ही शरद पवार ने ट्वीट कर साफ कर दिया कि या अजित पवार का निजी फैसला है और एनसीपी अजित के इस इस फैसले या मूव का समर्थन नहीं करती।
अभी तो खेल का रोमांच बाकी है। आपको याद होगा कि विधान सभा चुनाव परिणाम के बाद अजित पवार को सर्वसम्मति से महाराष्ट्र विधानमंडल दल का नेता चुना गया था। इस लिहाज से तकनीकी तौर पर अजित पवार को एनसीपी के सभी विधायकों का समर्थन प्राप्त है। सो एन्टी डिफेक्शन कानून उन पर लागू नहीं होता।
कांग्रेस बीजेपी के दांव से चित हो गई।
कांग्रेस को भी शुरू में यह फेक न्यूज़ लग रही थी। अब उन्हें भी समझ आ रहा कि यह फेक न्यूज़ नहीं बीजेपी की गुगली है। पहला मैच बीजेपी ने जीता लेकिन पांच साल तक चलने वाली इस राजनीतिक सीरीज कौन जीतेगा यह अभी कहा नहीं जा सकता। फिलहाल आप सोशल मीडिया पर चल रहे कुछ लतीफों का मजा इस वीकेंड पर लीजिये-
किताबें, रिसाले, न अखबार पढ़ना
मगर दिल को हर रात इक बार पढ़ना।
सियासत की अपनी इक अलग जबां है,
लिखा हो इकरार तो इनकार पढ़ना।।
(बशीर बद्र)
सपने सजा के बैठा था मैं शिवसेना की सुहागरात के….
दुल्हन ही भगा के ले गए दो बांके गुजरात के….
(वाया सोशल मीडिया)
हम थोड़े बेवफा क्या हुए…तुम तो बदचलन हो गए…!
(वाया सोशल मीडिया)
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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