Saturday - 26 October 2024 - 3:24 PM

महंत नरेन्द्र गिरी के वकील ने सीबीआई को बताई ऐसी बात कि…

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

लखनऊ. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी की मौत पर पड़े रहस्य के पर्दे को अब तक सीबीआई भी उतार नहीं पाई है. सीबीआई ने बीते 27 दिनों में लगातार इस बात की कोशिश की कि महंत नरेन्द्र गिरी की मौत का क्या राज़ है और कौन वास्तव में ज़िम्मेदार है लेकिन अब तक जांच जहाँ की तहां रुकी हुई है. हालांकि महंत नरेन्द्र गिरी के वकील से तीन दिन से चल रही पूछताछ के बाद सीबीआई अधिकारियों की आँख में चमक देखने को मिली है.

सीबीआई ने महंत नरेन्द्र गिरी के शिष्य महंत आनंद गिरी, हनुमान मन्दिर के मुख्य पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उनके पुत्र संदीप से कई दौर की बातचीत की लेकिन इससे कोई हल निकलता नज़र नहीं आया. सीबीआई इनका लाई डिटेक्टर टेस्ट कराना चाहती है लेकिन इसके लिए यह तीनों ही तैयार नहीं हैं.

सीबीआई ने महंत नरेन्द्र गिरी के वकील ऋषि शंकार द्विवेदी से कई घंटे तक पूछताछ की. इस पूछताछ से यह महसूस हो रहा है कि महंत की मौत के पीछे मठ की 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की सम्पत्ति हो सकती है. महंत नरेन्द्र गिरी ने रायबरेली, झूंसी, करछना और कौशाम्बी में भी संपत्तियां खरीद रखी हैं.

वकील ऋषि शंकर महंत नरेन्द्र गिरी की संदिग्ध मौत के बाद मठ जाते समय सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए थे. वह तब से अपने घार पर बिस्तर पर पड़े हैं. यही वजह है कि पिछले तीन दिन से सीबीआई उनसे उनके ही घर पर पूछताछ कर रही है.

सीबीआई ने वकील ऋषि शंकर द्विवेदी से महंत नरेन्द्र गिरी को लेकर ढेर सारे सवाल पूछे. सीबीआई ने पूछा कि चार जून 2020 को महंत नरेन्द्र गिरी ने आखिर अपनी वसीयत क्यों बदली थी. आखिर वह कौन सी वजह थी कि उन्हें तीसरी बार वसीयत करनी पड़ी. तीसरी वसीयत में महंत ने बलवीर गिरी को अपना उत्तराधिकारी बनाया तो इस बारे में और क्या लिखा. सीबीआई ने पूछा कि मठ की सम्पत्ति कहाँ-कहाँ है और उन संपत्तियों का कुल मूल्य कितना होगा.

सीबीआई ने वकील ऋषि शंकर को वसीयत दिखाते हुए पूछा कि आप तो बराबर उनका दस्तखत लेते रहे होंगे. उनके हाथ से लिखे बहुत से कागज़ आपकी नज़रों से गुज़रे होंगे. बताइए कि क्या यह महंत नरेन्द्र गिरी की ही राइटिंग है.

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सीबीआई के इस सवाल पर वकील ने बहुत चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि मैं पिछले सत्रह साल से महंत नरेन्द्र गिरी का काम देख रहा हूँ. महंत नरेन्द्र गिरी को अपना दस्तखत करने में तीन से चार मिनट का वक्त लगता था. ऐसे में मैं यह स्वीकार करने को तैयार नहीं हूँ कि महंत नरेन्द्र गिरी आठ पेज का सुसाइड नोट लिख सकते हैं. वकील ने महंत के हाथ से लिखे कुछ कागज़ सीबीआई को मुहैया कराये हैं. सीबीआई अब इनकी फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट से जाँच करायेगी.

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