जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने सोमवार को फांसी लगाकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली. उनका शव प्रयागराज स्थित बागंभरी मठ में शाल से बनाए फंदे से लटका हुआ मिला. उन्होंने आत्महत्या की है या फिर यह हत्या का मामला है इस बारे में काफी देर तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया. हालांकि प्रथम दृष्टया तो मामला आत्महत्या का ही महसूस हुआ क्योंकि जिस कमरे में शव मिला वह भीतर से बंद था. बाद में जब पुलिस ने जांच की तो कमरे में सुसाइड नोट भी बरामद हो गया.
महंत नरेन्द्र गिरी का अपने शिष्य आनंद गिरी से विवाद चल रहा था. जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले आनंद गिरी ने उनसे माफी माँगी थी और नरेन्द्र गिरी ने उन्हें माफ़ कर दिया था. गुरु-शिष्य के बीच सब कुछ ठीक हो गया था या नहीं यह बताने वाला कोई नहीं है. दरअसल अखाड़ा परिषद में चल रहे मतभेद की खबरें बराबर सुनने को मिलती रहती थीं.
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महंत नरेन्द्र गिरी को कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमण हुआ था लेकिन उन्होंने उसे हरा दिया था. मज़बूत इरादों वाला यह महंत आत्महत्या भी कर सकता है इस बात पर विश्वास कर पाना सहज बात नहीं है. महंत की मौत की खबर मिलने के बाद पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया है. फारेंसिक टीम भी मौके पर बुला ली गई है.
लखनऊ में अपर पुलिस महानिदेशक क़ानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि पुलिस को महंत नरेन्द्र गिरी के कमरे से सात पन्ने का सुसाइड नोट मिला है. इसमें महंत ने अपने शिष्य आनंद गिरी पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.
महंत नरेन्द्र गिरी ने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं अपने पुराने रिश्तों से परेशान हूँ. मानसिक तौर पर आनंद गिरी परेशान कर रहा है. उन्होंने लिखा कि मैं शान से जिया हूँ और अब शान से मरना चाहता हूँ. अपने सुसाइड नोट ने उन्होंने यह भी लिख दिया है कि उनके बाद किस शिष्य को क्या मिलना चाहिए. महंत के करीबियों ने सुसाइड नोट में राइटिंग महंत नरेन्द्र गिरी की ही बताई है लेकिन इस सुसाइड नोट की जांच फारेंसिक एक्सपर्ट करेंगे. बताया जाता है कि दोपहर को खाने के बाद महंत अपने कमरे में चले गए थे. काफी देर तक दरवाज़ा नहीं खुला तो करीब डेढ़ घंटे तक दरवाज़ा खुलवाने की कोशिश की गई. महंत ने जवाब नहीं दिया तो कमरे का दरवाज़ा तोड़ा गया. दरवाज़ा टूटा तो महंत का शव पंखे से लटका हुआ था.