Saturday - 2 November 2024 - 9:48 PM

जानिए महाशिवरात्रि का महत्‍व, क्‍या है शुभ मुहूर्त

न्‍यूज डेस्‍क

पूरे देश में आज महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। देशभर के मंदिरों और शिवालयों में सुबह से ही भगवान भोले के भक्त जलाभिषेक के लिए पहुंच रहे हैं। शिवभक्त जल, दूध, बेल पत्र चढ़ाकर भगवान भोले को मना रहे हैं। हर तरफ बम बम भोले के जयकारे लग रहे हैं। इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी  ने ट्वीट कर देशवासियों को महाशिवरात्रि की बधाई दी है।

उन्‍होंने लिखा कि आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। बाबा भोलेनाथ के आशीर्वाद से सभी देशवासियों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य आए। ऊँ नम: शिवाय!

बता दें कि महाशिवरात्रि के दिन लोग व्रत रखते हैं और पूरे विधि विधान से शंकर भगवान की पूजा करते हैं। माना जाता है शिवरात्रि पर ही महादेव का प्राकट्य हुआ था। इसके अलावा, शिव जी का विवाह भी इस दिन माना जाता है। शिवरात्रि पर महादेव की उपासना से व्यक्ति को जीवन में सम्पूर्ण सुख प्राप्त हो सकता है।

महाशिवरात्रि का महत्व

हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पर एक लोटा जल चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस दिन व्रत, साधना, मंत्रजाप तथा रात्रि जागरण का विशेष महत्व है।

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 21 फरवरी 2020 को शाम 5 बजकर 20 मिनट से
  • चतुर्थी तिथि समाप्‍त:  22 फरवरी 2020 को शाम 7 बजकर 2 मिनट तक
  • रात्रि प्रहर की पूजा का समय: 21 फरवरी को शाम 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक

शिवरात्रि की पूजा विधि

  • शिव रात्रि को भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान करा कराएं।
  • केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं।
  • पूरी रात्रि का दीपक जलाएं।
  • चंदन का तिलक लगाएं।
  • तीन बेलपत्र, भांग धतूर, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं।
  • सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें।
  • पूजा में सभी उपचार चढ़ाते हुए ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें।

महाशिवरात्रि व्रत विधि

शिवरात्रि व्रत से एक दिन पहले यानी त्रयोदशी तिथि को भक्तों को केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। फिर शिवरात्रि के दिन रोजाना के कार्यों से फ्री होकर भक्तों को व्रत का संकल्प लेना चाहिए। शिवरात्रि की पूजा शाम के समय या फिर रात्रि में करने का विधान है इसलिए भक्तों को सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करनी चाहिए। शिवरात्रि पूजा रात्रि के समय एक बार या फिर चार बार की जा सकती है।

व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के बीच के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए। लेकिन, एक अन्य मान्यता के अनुसार, व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के पश्चात् का बताया गया है।

व्रत खोलने का समय 

चतुर्दशी तिथि भगवान शिव की ही तिथि मानी जाती है। चतुर्दशी तिथि को ही शिवरात्रि होती है। शिवरात्रि का व्रत रखने वाले अगले दिन 22 फरवरी को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक पारण कर सकते हैं।

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