न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस की महामारी से बांग्लादेश भी परेशान हैं। यहां तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, बावजूद इसके बांग्लादेश सरकार ने देश की सभी मस्जिदों को करीब एक महीने बाद खोल दिया गया है।
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए बांग्लादेश सरकार ने भी तालाबंदी का सहारा लिया है। तालाबंदी की वजह से यहां कामधाम सब ठप है। अर्थव्यवस्था को नुकसान होता देख सरकार ने लॉकडाउन के प्रतिबंधों में थोड़ी ढ़ील दी है। इसी के तहत सभी मस्जिदों को भी खोला गया है। जानकारों का कहना है कि सरकार ने रमजान के मद्देनजर यह फैसला किया है।
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इस्लाम में रमजान के महीने का खास महत्व है। मुस्लिमों के लिए रमजान का महीना बहुत खास होता है। रमजान के महीने में मुस्लिम अमूमन सूरज उगने लेकर शाम ढलने तक उपवास रखते हैं और उसके बाद पूरे परिवार के साथ बैठकर व्रत खोलते हैं। रमजान के बाद आने वाली ईंद की भी तैयारी ये लोग इसी दौरान करते हैं।
चूंकि बांग्लादेश में तालाबंदी थी तो मस्जिद भी बंद थे, पर आज से सरकार ने कुछ गाइड लाइन्स के साथ इबादत के लिए मस्जिदों को खोल दिया है ।
कोरोना महामारी को देखते हुए सऊदी अरब की सर्वोच्च धार्मिक परिषद ने भी कहा है कि कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए रमजान के महीने में मुसलमान अपने घरों पर ही इबादत करें।
बांग्लादेश में कोविड-19 के 12,000 से ज़्यादा मामले हैं, जिनमें 200 से ज़्यादा लोगों की अब तक मौत हो चुकी है और नए मामले अब भी सामने आ रहे हैं।
मस्जिद खुलने के बाद बांग्लादेश के अखबार ‘द ढाका ट्रिब्यून’ के एक पत्रकार ने पाया कि राजधानी ढाका की मस्जिदों में भी उन गाइडलाइंस का पालन नहीं हो रहा जिन्हें सरकार ने बाध्यकारी बताया है।
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अपनी रिपोर्ट में पत्रकार ने लिखा है कि ‘अधिकांश मस्जिदें हैंड सेनेटाइजर नहीं जुटा पाई हैं और मस्जिदों में आ रहे लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं। हालांकि मस्जिदें खुलने का यह पहला दिन है, मगर हालात ऐसे ही रहे तो परेशानी तेजी से बढ़ सकती है।’
शहर की एक बड़ी मस्जिद के प्रमुख फज़्लुल हकी का बयान इस रिपोर्ट में छपा है, जिन्होंने माना है कि ‘कुछ चीजों में गाइडलाइंस का पालन नहीं हो पा रहा।’ उन्होंने यह भी कहा है कि ‘वे सभी नियमों को ठीक तरह से लागू करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।’
अप्रैल में बांग्लादेश के स्थानीय मीडिया ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि ‘दो दर्जन से ज़्यादा लोगों के एक समूह को नमाज पढ़वा रहे बांग्लादेश के एक मौलवी को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है।’ इस घटना के बाद बांग्लादेश सरकार ने लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी थी और मस्जिदों को बंद करवा दिया गया था।
बांग्लादेश से पहले पाकिस्तान भी तमाम चिंताओं के बीच मस्जिदों को खोले जाने का निर्णय ले चुका है।
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