स्पेशल डेस्क
भोपाल। मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामा रूकने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल कमलनाथ की सरकार की उल्टी गिनती उसी दिन से शुरू हो गई थी जब सिंधिया ने कांग्रेस से किनारा कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। इसके बाद से ही वहां पर सियासी दंगल ने जोर पकड़ी।
कमलनाथ की सरकार पर तब और खतरा मंडराने लगा जब उनके 20 से ज्यादा विधायकों के इस्तीफे की बात सामने आई। उधर बीजेपी को फिर कमल खिलता नजर आ रहा है। ऐसे में बीजेपी ने दोबारा सत्ता में वापसी के लिए अपना जोर लगा दिया है।
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शिवराज सिंह दोबारा सीएम बनने की तैयारी में हैं लेकिन कांग्रेस अभी इतनी जल्दी हार नहीं मानने वाली है। आलम तो यह है कि राज्यपाल ने उन्हें सोमवार यानी 16 मार्च को बहुमत साबित करने को कहा था लेकिन विधानसभा को कोरोना वायरस की वजह से 26 मार्च तक स्थगित कर दिया गया है।
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राज्यपाल लालजी टंडन ने सीएम कमलनाथ को कल (17 मार्च) बहुमत साबित करने को कहा है
इसके बाद से ही कमलनाथ की सरकार फिलहाल सोमवार तक बच गई लेकिन राज्यपाल ने एक बार फिर कमलनाथ को बहुमत साबित करने के लिए कहा है। राज्यपाल ने कमलनाथ को फिर पत्र लिखा है। उन्होंने कल फ्लोर टेस्ट कराने के लिए निर्देश दिए हैं।
उधर पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जा पहुंचा है लेकिन वहां पर भी कोरोना वायरस का खौफ देखने को मिल रहा है। जानकारी के मुताबिक कोर्ट परिसर में वकीलों की मेडिकल जांच की जा रही है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की पीठ के समक्ष सुप्रीम कोर्ट में कल फ्लोर टेस्ट मामले की सुनवाई होने की बात सामने आ रही है।
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राज्यपाल लालजी टंडन ने सीएम कमलनाथ को फ्लोर टेस्ट की बात सामने आने पर बीजेपी अपने विधायकों मानेसर भेजने की तैयारी में हैं।
राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे गए पत्र में कहा है कि मेरे 14 मार्च के पत्र के उत्तर में मिले पत्र का भाव/भाषा संसदीय मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है।
उन्होंने कहा है कि मैंने अपने 14 मार्च के पत्र में आपसे विधानसभा में 16 मार्च को विश्वास मत प्राप्त करने के लिए निवेदन किया था। आज विधानसभा का सत्र प्रारंभ हुआ, मैंने अपना अभिभाषण पढ़ा परंतु आपके द्वारा सदन का विश्वास मत प्राप्त करने की कार्यवाही प्रारंभ नहीं की और इस संबंध में कोई सार्थक प्रयास भी नहीं किया गया।
सदन की कार्यवाही 26 मार्च 2020 तक स्थगित हो गई। आपने अपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के जिस निर्णय का जिक्र किया है। वह वर्तमान परिस्थितियों और तथ्यों में लागू नहीं होता है।
कुल मिलाकर अब देखना होगा कि कमलनाथ राज्यपाल के ताजा पत्र पर अगला क्या कदम उठाते हैं। उधर बीजेपी बार-बार कह रही है कि कमलनाथ के पास बहुमत नहीं है।