जुबिली न्यूज डेस्क
कुछ दिनों पहले तक देश के बड़े शहर कोरोना संक्रमण फैलने और इससे हो रही मौतें की वजह से चर्चा में थे। उस समय गांव सुरक्षित थे और शहर के लोग खून के आंसू रो रहे थे।
अब कोरोना शहर से निकलकर गांवों में कहर बरपा रहा है। देश के अधिकांश राज्यों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि गांवों में कोरोना की वजह से मौतें हो रही है लेकिन इनका कोई रिकार्ड नहीं है, क्योंकि इन लोगों ने कोरोना का टेस्ट नहीं कराया।
ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश के गांवों में हो रहा है। राज्य के ग्रामीण इलाकों में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। लोग गांव में ही रहकर अपना उपचार करा रहे हैं लेकिन कोरोना जांच कराने को तैयार नहीं है। प्रांतीय सरकार ने क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप बनाने की घोषणा की है।
एमपी सरकार और प्रशासन के लिए कोरोना महामारी की एक नई चुनौती सामने आ रही है। दरअसल ग्रामीण कोरोना संक्रमण को गंभीरता से ले नहीं रहे हैं।
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गांव के लोग गांव में ही रहकर पारंपरिक तरीके से अपना उपचार कर रहे हैं, लेकिन कोरोना टेस्ट कराने को परहेज कर रहे हैं। प्रशासन के लिए यह नई तरह की चुनौती है। यही वजह है कि जिसमें भी कोरोना के प्रारंभिक लक्षण पाए जा रहे हैं, उससे कोरोना की दवा देने को कहा जा रहा है।
प्रदेश में कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है और कुल आंकड़ा एक लाख 11 हजार को पार कर गया है। जहां शहरी इलाकों में मरीजों की संख्या में उतार-चढ़ाव का दौर बना हुआ है तो वहीं ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना संक्रमण की आशंका बनी हुई है।
शहरों में जहां अस्पतालों पर दबाव बढ़ रहा है, तो वहीं जानकारों के मुताबिक गांव में सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं।
सरकार ने की जांच कराने की अपील
गांव में जांच न कराने की वजह से समस्या बढ़ रही है। ये लोग अस्पताल जाने से भी कतरा रहे हैं। गांव में जो चिकित्सक हैं उनसे सलाह लेकर दवाएं खा रहे हैं। इससे जहां कुछ लोग स्वस्थ हो रहे हैं तो कई की मुसीबत बढ़ रही है।
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वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी आमजन से अपील की है कि लक्षण दिखने या तबियत बिगडऩे पर तुरंत कोरोना जांच कराएं।
गांवों में कोरोना महामारी फैलने के साथ ही सरकार ने ब्लॉक और गांव के स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप बनाने का फैसला लिया है। शहरी इलाकों में ऐसे ग्रुप वार्ड के स्तर पर बनाए जाएंगे।
गृह मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि शहर में चलने वाले क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की तरह ही ऐसे ग्रुप गांव और वार्ड के स्तर पर बनाए जाएंगे।
स्थानीय लोगों की भागीदारी
गांवों में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या और अस्पतालों तक बीमारों के न पहुंचने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के कई गांवों से ऐसी तस्वीरें आ रही हैं कि खेतों को चिकित्सकों ने अस्पताल बना दिया है और वहीं उनका उपचार चल रहा है।
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शासन और प्रशासन तक ऐसी सूचनाएं आ रही हैं, मगर वह चाहकर भी इन्हें नहीं रोक पा रहे हैं। स्वास्थ्य जगत से जुड़े लोगों का मानना है कि गांव के लोगों में कोरोना को लेकर डर है और वे अस्पताल जाने तक को तैयार नहीं हैं। इसकी वजह से परिवार में जहां एक व्यक्ति बीमार होता है तो दूसरा भी उसकी चपेट में आ जाता है।
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ऐसा नहीं है कि ग्रामीण इलाकों में मरीजों की तादाद में वृद्धि से सरकार वाकिफ नहीं है। सरकार को सब पता है यही कारण है कि ग्रामीण इलाकों में कोरोना चिकित्सा किट का वितरण किया जा रहा है।
इसके साथ ही यह भी सलाह दी जा रही है कि परिवार में एक व्यक्ति बीमार है और दूसरे को लक्षण नजर आते हैं तो वह प्रारंभिक इलाज शुरू कर दें। ग्रामीण और शहरी इलाकों में बनाए जा रहे क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुपों का काम होगा कि वे महामारी के प्रसार को रोकने में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कराएं।